युवा देश की जनसंख्या के लाभ का प्रतिनिधित्व करते हैं. देश में 18 वर्ष से 29 वर्ष की उम्र के युवाओं की संख्या 21 करोड़ है, या वे कुल मतदाताओं का पांचवां हिस्सा हैं. वे देश का भविष्य हैं, और उस भविष्य के लिए आपके पास क्या नजरिया है, वही उनका ध्यान खींचेगा और शायद उनका वोट भी दिलाएगा. देश में 18 वीं लोकसभा के चुनाव में हर राजनैतिक दल युवा वोटरों को लुभाने के लिए एक-दूसरे के साथ होड़ कर रहा है. लेकिन देश का युवा क्या चाहता है? इसी युवा आवाज की गूंज सुनने के लिए इंडिया टुडे के संवाददाताओं ने देश के विभिन्न क्षेत्रों-गुजरात के खेड़ा से लेकर मणिपुर के कांगपोकपी, केरल के तिरुवनंतपुरम से लेकर कश्मीर के बारामूला तक की खाक छानी. इस दौरान समाज के विभिन्न वर्गों और विभिन्न पेशों से जुड़े छात्र, डॉक्टर, इंजीनियर, उद्यमी, वकील, किसान, खिलाड़ी, यहां तक कि कलाकार, फ्लोरल डिजाइनर और डिलिवरी एजेंट से बातचीत की गई. उन सभी में सामूहिक राजनैतिक चेतना और लोकतंत्र में सक्रिय भागीदारी की भावना साझा है. अयोध्या में राम मंदिर और जातिगत जनगणना को लेकर उनकी अपनी राय है. साथ ही, देश के लोकतंत्र पर कथित खतरे पर भी वे अपनी बात जाहिर करते हैं. वे अपनी क्षेत्रीय, सांस्कृतिक, धार्मिक या जातिगत पहचान पर जोर देने में कतई संकोच नहीं करते, लेकिन समावेशी आर्थिक विकास और अधिक रोजगार के अवसर भी चाहते हैं. उनमें बेचैनी है, फिर भी वे उम्मीद और दृढ़ निश्चय से भरे हैं, और दूसरों के प्रति संवेदनशील भी हैं. इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि वे राजनैतिक बिरादरी को वादों और उसे पूरा करने के लिए जवाबदेह ठहराने को तैयार हैं. तो आइए, सुनिए कि अगले पन्नों में वे क्या कहते हैं.
सिद्धांत का खांटी नेता चाहिए
Denne historien er fra May 01, 2024-utgaven av India Today Hindi.
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शब्द हैं तो सब है
शब्द और साहित्य की जादुई दुनिया का जश्न मनाते लेखक-राजनेता शशि थरूर अपने निबंधों की किताब के साथ हाजिर
अब बड़ी भूमिका के लिए बेताब
दूरदराज की मंचीय प्रतिभाओं को निखारने का बड़ा प्लेटफॉर्म बनकर उभरा एमपीएसडी. नई सोच वाले निदेशक के साथ अब वह एक नई राह पर. लेकिन क्या वह एनएसडी जैसा मुकाम बना पाएगा?
डिजिटल डकैतों पर सख्त कार्रवाई
नया-नवेला जिला डीग तेजी से देश में ऑनलाइन ठगी का केंद्र बनता जा रहा था. राज्य सरकार और पुलिस की निरंतर कार्रवाई की वजह से राजस्थान के इस नए जिले में पिछले छह महीने के दौरान साइबर अपराध की गतिविधियों में आई काफी कमी
सनसनीखेज सफलता
पल में मजाकिया, पल में खौफनाक. हिंदी सिनेमा में हॉरर कॉमेडी फिल्मों का आया नया जमाना. चौंकने-डरने को बेताब दर्शकों के कंधों पर सवार होकर भूतों ने धूमधाम से की बॉक्स ऑफिस पर वापसी
ममता के लिए मुश्किल घड़ी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार खिन्न और प्रदर्शन करते राज्य के लोगों का भरोसा के लिए अंधाधुंध कदम उठा रही है
ठोकने की यह कैसी नीति
सुल्तानपुर में जेवर की दुकान में डकैती के आरोपी मंगेश यादव को मुठभेड़ में मार डालने के बाद विपक्षी दलों के निशाने पर योगी सरकार. फर्जी मुठभेड़ एक बार फिर बनी मुद्दा
अग्निपरीक्षा की तेज आंच
अदाणी जांच में हितों के टकराव के आरोपों में घिरीं और अपने ही स्टाफ में उभरते विद्रोह से सेबी की मुखिया से ढेरों जवाब और खुलासों की दरकार
अराजकता के गर्त में वापसी
केंद्र और राज्य के निकम्मेपन से मणिपुर में नए सिरे से उठीं लपटें, अबकी बार नफरत की दरारें और गहरी तथा चौड़ी लगने लगीं, अमन बहाली की संभावनाएं असंभव-सी दिखने लगीं
अब आई मगरमच्छों की बारी
राजस्थान में 29 जुलाई, 2024 की दोपहर विधानसभा में राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) परीक्षा में पेपर लीक को लेकर सियासत गरमाई हुई थी. प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने पेपर लीक के मामलों को लेकर भजनलाल शर्मा सरकार पर यह आरोप जड़ दिया कि अभी तक सरकार ने छोटी-छोटी मछलियां पकड़ी हैं, मगरमच्छ तो अभी भी खुले घूम रहे हैं. इस हमले का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा, \"आप बेफिक्र रहिए जल्द ही हम उन मगरमच्छों को भी पकड़ेंगे जो बाहर घूम रहे हैं.\"
नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"