असम के नगांव जिले के एक छोटे-से ग्रामीण ब्लॉक जुरिया-रुपाही में अप्रैल की यह एक गरम दोपहर है. गांव के युवा और बूढ़ों से लेकर पुरुष और महिलाएं सभी रैली स्थल की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं, जहां मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सरमा उन्हें संबोधित करने वाले हैं. अति उत्साही लोगों ने मुख्यमंत्री के हेलिकॉप्टर को उतरते ही उसे चारों ओर से घेर लिया. अनुमानित 95 फीसद मुस्लिम आबादी वाली यह जगह चुनावी तौर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के किसी नेता के लिए 'शत्रु इलाका' मानी जा सकती है. लेकिन सरमा के लिए नहीं. वे हेलिकॉप्टर से उतरते हैं, वहां जुटे करीब 10,000 लोगों की ओर दौड़ते हैं और बैरिकेड कूदकर उन तक पहुंचते हैं जिससे भीड़ में हलचल मच जाती है. लोग सरमा को गले लगाते हैं, उन्हें छूते हैं और उनसे हाथ मिलाते हैं तथा इस सबमें उनकी बाहों पर कई खरोंच पड़ जाती हैं. बैकग्राउंड में पार्टी का प्रचार गीत 'एकोउ एबार मोदी सरकार' (एक बार फिर मोदी सरकार) जोर से बज रहा है. सरमा स्टेज पर आते हैं जहां नरेंद्र मोदी के दो विशाल कट-आउट लगे हैं और वे एक रॉकस्टार की तरह गाना और नृत्य करना शुरू कर देते हैं. भीड़ खुशी से झूम उठी तथा उसमें शामिल हो गई और कार्यक्रम स्थल 'भारत माता की जय' और 'मोदी जिंदाबाद' के नारों से गूंज उठा.
असम में कथित मुस्लिम प्रवासियों के खिलाफ अपने विवादास्पद बयानों के लिए जाने जाने वाले इस शख्स के लिए यह अविश्वसनीय बदलाव है. कुछ समय पहले ही सरमा ने बंगाली मुस्लिम प्रवासियों के वंशजों के लिए अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल करते हुए कहा था कि उन्हें 'मियां' वोट नहीं चाहिए. अब उसी तबके को लुभाने की कोशिश उनकी रणनीति में बदलाव का संकेत देती है. यह राज्य में भाजपा की अगुआई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सीट संख्या को ऐतिहासिक ऊंचाई पर ले जाने और पार्टी में अपना दबदबा बढ़ाने की उनकी बेचैनी को दिखाता है.
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