सुबह के सवा नौ बजे हैं. गुदड़ी गांव में सीमा देवी हाथों में प्लास्टिक के तीन बड़े गैलन लिए अपने गांव के इकलौते सबमर्सिबल पंप के पास जा रही हैं. पानी भरने. कहती हैं, "अबहीं समनसेबुल (सबमर्सिबल पंप) पर जाइनी, नंबर पर पानी भरातआ, धइ के चलिआई. पानी तीन बजे मिली..." उनके पीछे चली आ रहीं प्रियंका देवी कहती हैं, "कौनो गरंटियो नइखे कि मिली की न मिली." वजह पूछने पर सीमा कहती हैं, "बदरी होखे तो काहां मिली. नौ बजे से लेके चार बजे बंद हो जाई. केकरो मिलेला, केकरो नइखे मिलेला." यानी पानी तीन बजे मिलेगा, वह भी अगर बादल न छाए क्योंकि बादल छाने पर सोलर प्लेट काम नहीं करेंगे और बिना पानी के लौटना पड़ेगा.
कैमूर जिले के अधौरा पहाड़ पर बसे 50 घर के चेरो आदिवासियों के इस टोले में पानी को लेकर दिन भर चलने वाली जद्दोजहद और संघर्ष की यह कहानी नई नहीं है. यह संवाददाता 2019 के लोकसभा चुनाव में भी पहाड़ी चढ़कर इस दुर्गम गांव तक पहुंचा था. तब भी सीमा देवी जैसी औरतें गांव में नल जल योजना के तहत बनी टंकी के नीचे पानी भरती मिली थीं. तब टंकी के पास वाले नल से बूंद-बूंद पानी टपक रहा था और एक गैलन को भरने में आधा घंटा लगता था. जिनको इमरजेंसी होती वह पानी लाने तीन किमी दूर नदी के पास चला जाता.
उस चुनाव से लेकर इस चुनाव के बीच सीमा देवी और इस गांव की दूसरी महिलाओं के लिए समय इतना ही बदला है कि अब वह पुरानी टंकी फेल हो गई है. सरकार ने सबमर्सिबल पंप लगाकर नई टंकी फिट करवा दी है. अब गैलन एक मिनट में भर जाता है. मगर पानी के लिए पूरे दिन की मशक्कत आज भी जारी है. और जारी है पानी भरे गैलनों को सिर पर ढोकर घर लाने की मुसीबत क्योंकि तब भी टंकी का पानी घर-घर नहीं पहुंच पा रहा था, आज भी नहीं पहुंच पा रहा. औरतों के हिस्से की यह मुसीबत 17वीं लोकसभा के कार्यकाल में भी हमारे नीति नियंता खत्म नहीं कर पाए.
यह मुसीबत सिर्फ सीमा देवी या गुदड़ी गांव की महिलाओं के हिस्से की कहानी नहीं है. कैमूर जिले के अधौरा पहाड़ पर बसे 108 गांव और इनमें बसी 60,000 से अधिक की आबादी की यह स्थाई मुसीबत है. पहले औरतें पांच पांच किमी दूर नदी और झरने से पानी ढोकर लाती थीं. अब 2016 के बाद बिहार में शुरू हुई नल जल योजना की टंकियों के पास से ढोकर लाती हैं.
Denne historien er fra June 05, 2024-utgaven av India Today Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra June 05, 2024-utgaven av India Today Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
आइसीई युग के बाद ईवी युग
भारत के ऑटो उद्योग के लिए 2025 निर्णायक मोड़ होगा, जब इलेक्ट्रिक वाहन तेजी से बढ़कर मुख्यधारा में आ जाएंगे और शीर्ष खिलाड़ियों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा होगी
डिजायर का नया धमाका
चौथी पीढ़ी की डिजायर ने हाल ही में दस्तक दी है और यह कॉम्पैक्ट सेडान स्पेस में तूफानी रफ्तार से दबदबा कायम कर सकती है. हमने गोवा में इसे चलाया, जानिए हमारे तजुर्बे
तीसरी पीढ़ी की होंडा अमेज 8 लाख रुपए से शुरू
होंडा ने तीसरी पीढ़ी की अमेज लॉन्च की है, जिसकी कीमत 8 लाख रुपए से लेकर 10.9 लाख रुपए (एक्स-शोरूम) तक है.
महिंद्रा ने बीई6 और एक्सईवी 9ई से सबका ध्यान खींचा
महिंद्रा ने भारतीय बाजार में अपनी पहली दो इलेक्ट्रिक ओरिजिन एसयूवी लॉन्च की हैं, जिनके नाम बीई6 और एक्सईवी 9ई हैं.
आवाज अपने वक्त की
लेखक अमिताभ घोष अपने नए गद्य संग्रह वाइल्ड फिक्शन में लेकर आए पिछले 25 साल में लिखे चुनिंदा निबंध
हिमालय में नया शाहकार
मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले में ऊंचे ग्लेशियरों से ढके पहाड़ों में सर्दियों का सन्नाटा केवल बर्फीली हवाओं के झोंकों से ही टूटता है, ऐसे दुर्गम इलाके में सफर आसान करने के लिए बनाया गया रास्ता एक शानदार भविष्य की बुनियाद रखने वाला है.
नए सिरे से नवीन की ललकार
बीजू जनता दल सुप्रीमो अपने ही साये से बाहर निकलकर अब एक नए अवतार में सामने आए. अब वे अपने में ही खोए रहने वाले निस्संग राजनेता न रहकर एक आक्रामक विपक्षी ताकत के रूप में पार्टी में जान फूंकने के साथ जनाधार भी बढ़ा रहे
नए-नवेले वाहनों का कुंभ
बाजार में आने वाली नई कारों और बाइकों के प्रदर्शन के साथ भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्स्पो 2025 में देश के ऑटोमोटिव उद्योग की दशा-दिशा तय करेगा
इतने हाइटेक हुए नकलची
जनवरी की 5 तारीख को राष्ट्रीय बीज निगम लिमिटेड (एनएससी) की 186 रिक्तियों की भर्ती परीक्षा आयोजित करने के लिए अपनाई गई ऑफलाइन प्रणाली को अचूक माना जा रहा था. पर वह भी रिमोट एक्सेस सॉफ्वेयर की मदद से आसानी से सेंध लग जाने वाली साबित हुई.
लूट-लपेटकर फुर्र होतीं दुलहनें
मरु प्रदेश में बिगड़ते लिंगानुपात का फायदा उठाने उतर पड़े लुटेरी दुलहनों और उनके दलालों के बड़े गिरोह. एक-एक 'दुलहन' 30-30 तक 'शादियां' रचा रहीं. सीमावर्ती इलाकों में ऐसे ब्याह से सुरक्षा एजेंसियों के भी कान खड़े