अब जब भारत अपना 78वां स्वाधीनता दिवस मना रहा है तो यह हमारे लिए उचित अवसर है। कि पर्यटन क्षेत्र में मौजूद असीमित संभावनाओं की जरा थाह लें. सर्विस सेक्टर में पर्यटन सबसे ज्यादा रोजगार देने वालों में से एक है और इसके टर्शियरी इम्पैक्ट यानी तीसरे स्तर के असर को देखते हुए भारत में यह उद्योग गेम चेंजर हो सकता है. अपनी संपन्न सांस्कृतिक विरासत, शानदार लैंडस्केप और आवभगत करने वाले गर्मजोश लोगों के साथ भारत में वैश्विक पर्यटन का शक्ति केंद्र बनने की सारी बातें मौजूद हैं. भारत ने व्यापार अवसरों के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में अपना कद काफी बड़ा कर लिया है. इससे देश को दुनिया के यात्रा और पर्यटन मानचित्र पर लगातार अहम स्थान हासिल करने में मदद मिली है. फिर भी सबसे ज्यादा यात्रा किए जाने वाले देशों की सूची में भारत अभी दुनिया में 22वें स्थान पर है. हमारा लक्ष्य अगले 20-25 वर्षों में शीर्ष 10 देशों में शामिल होने का होना चाहिए.
घरेलू यात्रा और पर्यटन उद्योग विकसित हुआ है और इसने कई गुना वृद्धि की है. इसमें बुनियादी ढांचे में सुधार, भारतीय मध्य और उच्च मध्य वर्ग की बढ़ती कमाई और यात्रा पर अधिक खर्च करने की बढ़ती इच्छा का योगदान है. जहां अंतरराष्ट्रीय पर्यटन कोविड पूर्व वाले दिनों के स्तर पर पहुंच रहा है, वहीं मौजमस्ती के लिए देश में ही घूमने निकलने वालों का आंकड़ा कोविड पूर्व के आंकड़ों को पार कर गया है. इससे हमारे घरेलू पर्यटन बाजार की मजबूती का पता चलता है. उद्योग के हर सेग्मेंट में और खर्च के तरों में बढ़ोतरी हुई है और यात्रा हर परिवार की बजट योजना का महत्वपूर्ण हिस्सा बन रही है.
Denne historien er fra August 28, 2024-utgaven av India Today Hindi.
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शब्द हैं तो सब है
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ठोकने की यह कैसी नीति
सुल्तानपुर में जेवर की दुकान में डकैती के आरोपी मंगेश यादव को मुठभेड़ में मार डालने के बाद विपक्षी दलों के निशाने पर योगी सरकार. फर्जी मुठभेड़ एक बार फिर बनी मुद्दा
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अब आई मगरमच्छों की बारी
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नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"