मोदी 3.0 की पहली आर्थिक समीक्षा ने उस वक्त धमाका कर दिया जब उसने निर्यात के जरिए वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भागीदारी सुधारने के लिए चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) हासिल करने का समर्थन किया. हालांकि वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने चीन से पूंजी प्रवाह आसान बनाने की अटकलों को तुरंत ही खारिज कर दिया लेकिन - केंद्रीय बजट से एक दिन पहले भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन की तस्वीर बताने के लिए पेश - आर्थिक समीक्षा ने एक बहस शुरू कर दी है.
चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है जिसके साथ 2023-24 में निर्यात और आयात कारोबार 118 अरब डॉलर से अधिक (9.9 लाख करोड़ रुपए मौजूद विनिमय दर पर ) रहा है. लेकिन फिर भी व्यापार घाटा 85 अरब डॉलर (7.14 लाख करोड़ रुपए) के साथ सबसे अधिक है. इसमें वे चीनी उत्पाद शामिल नहीं हैं जो आसियान देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के जरिए भारत पहुंचते हैं. सदी के अंत तक यह अंतर एक अरब डॉलर से भी कम था जब चीन विश्व व्यापार संगठन में शामिल हुआ था. तब से चीन ने कम पर्यावरण अनुपालनों का फायदा उठाते हुए, अधिक और सस्ते श्रम और बड़े पैमाने की आर्थिकी के जरिए खुद को "दुनिया की फैक्ट्री" के रूप में बदल लिया. वह वैश्विक बाजार में काफी सस्ते उत्पादों की भरमार के लिए खासा उत्पादन कर रहा था, खासतौर पर जब भारत और ब्राजील जैसी अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाएं विदेशी पूंजी खोलने के अपने खुद के सुधारों से संघर्ष कर रही थीं.
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