भारत आजादी के 75वें वर्ष में दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन चुका था. 2047 में यह आजादी की सौवीं वर्षगांठ मनाएगा और उसका इरादा तब तक दुनिया में खुद को नेतृत्वकर्ता के तौर पर स्थापित करना है. सबसे अहम बात यह कि त्वरित, न्यायसंगत और पर्यावरण के अनुकूल टिकाऊ वैश्विक विकास को बढ़ावा देने में खासकर उसकी विशाल और जनसांख्यिकीय लिहाज से उत्पादक युवा आबादी की एक अहम भूमिका होगी. इसे देखते हुए देश की स्वास्थ्य प्रणाली पर सबसे बड़ी जिम्मेदारी यह है कि बढ़ती उम्र के साथ वह भारत की आबादी को स्वस्थ और उत्पादक बनाए रखे.
बढ़ानी होगी पब्लिक फाइनेंसिंगः संघीय शासन व्यवस्था में स्थानीय नीति निर्धारित करने के लिए केंद्र सरकार और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए राज्यों की पूरक संवैधानिक भूमिकाएं स्पष्ट तौर पर परिभाषित हैं. इसके तहत बेहद जरूरी है कि देशभर में स्वास्थ्य प्रणालियों का उद्देश्य एक ही हो और इन पर अमल के दौरान एक तारतम्यता बनी रहे. यह लक्ष्य हासिल करने के लिए भारत की समग्र स्वास्थ्य प्रणाली में बड़े पैमाने पर पब्लिक फाइनेंसिंग की जरूरत पड़ेगी. हमें देश के बढ़ते सकल घरेलू उत्पाद का कम से कम 2.5 फीसद स्वास्थ्य के लिए रखना होगा. इस नीतिगत प्रतिबद्धता का अक्सर वादा तो किया जाता है, मगर इसे अभी तक पूरा नहीं किया गया है. यह प्रतिबद्धता प्राथमिक से तृतीयक देखभाल तक बुनियादी ढांचा दुरुस्त करने, देशभर में बड़े पैमाने पर अधिक कुशल स्वास्थ्य कार्यबल को प्रशिक्षित और तैनात करने, जब भी और जहां भी आवश्यक हो, इलाज और दवा आपूर्ति सुनिश्चित करने के साथ ही भारत की अनसुलझी और उभरती स्वास्थ्य चुनौतियों के लिए नए समाधान खोजने के वास्ते शोध और विकास को बढ़ावा देने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है. स्वास्थ्य वित्तपोषण में वृद्धि केंद्र और राज्य दोनों के बजट में नजर आनी चाहिए.
Denne historien er fra August 28, 2024-utgaven av India Today Hindi.
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