हरियाणा में नायब सिंह सैनी की कैबिनेट ने 17 अगस्त को अनुबंधित कॉलेज लेक्चरर्स के लिए अनुसूचित जाति (एससी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटा तथा सेवा मानदंडों में कुछ बदलावों को मंजूरी दे दी. यह सामान्य प्रशासनिक कामकाज लग सकता है मगर इसके समय को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं. चुनाव आयोग की ओर से हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के ठीक एक दिन बाद यह कदम उठाया गया. साल 2019 में राज्य के विधानसभा चुनाव 21 अक्तूबर को हुए थे, उसके मुकाबले इस बार तकरीबन तीन हफ्ते पहले 1 अक्तूबर को चुनाव होने हैं.
इस साल लोकसभा चुनाव के कुछ हफ्ते पहले मनोहर लाल खट्टर की जगह सैनी मुख्यमंत्री बने तो उन्हें विरासत में प्रभावशाली जाट समुदाय में असंतोष और एक दशक की सत्ता विरोधी लहर से दबा प्रशासन मिला. लोकसभा चुनाव के नतीजों से कांग्रेस के उभरने के संकेत मिले क्योंकि उसका वोट शेयर 2019 में 28.4 फीसद से बढ़कर 2024 में 43.7 फीसद हो गया. वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का वोट शेयर 58 फीसद से घटकर 46.1 फीसद रह गया और इस वजह से 10 संसदीय सीटों में से पांच कांग्रेस के खाते में चली गईं. ऐसे में 17 अगस्त के कैबिनेट फैसले बीते दो महीने में सैनी सरकार की ओर से किए गए नीतिगत समायोजन का हिस्सा थे और उनका मकसद भाजपा की चुनावी संभावनाओं में सुधार करना था. मगर चुनाव के अचानक ऐलान ने उन्हें मुश्किल में डाल दिया क्योंकि उससे आदर्श ने आचार संहिता लागू हो गई. इसलिए इन फैसलों को लागू करना अब चुनाव आयोग की मंजूरी पर निर्भर करता है.
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