इसकी शुरुआत हुई मलप्पुरम जिले में नीलांबर से दो बार के निर्दलीय विधायक पी.वी. अनवर की 30 अगस्त की प्रेस कॉन्फ्रेंस से. माकपा समर्थित इस विधायक ने न केवल मुख्यमंत्री कार्यालय में घनिष्ठ संबंध रखने वाले एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के खिलाफ आरोपों की बौछार की बल्कि उन्होंने मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के राजनैतिक सचिव पी. शशि पर भी भ्रष्ट पुलिसवालों को संरक्षण देने का आरोप लगाया. शशि उनकी ओर से गृह विभाग देखते हैं. अनवर ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) एम. आर. अजित कुमार और उनके कथित सहयोगी पुलिस अधीक्षक (एसपी) सुजित दास के खिलाफ सबूत के तौर पर अपराध में मिलीभगत की रिकॉर्डेड फोन बातचीत भी जारी कर दी.
पिनाराई सरकार पहले ही हेमा समिति की रिपोर्ट जारी करने में देरी को लेकर निशाने पर है. उस रिपोर्ट के कारण मशहूर मलयालम अभिनेताओं और निर्माताओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों का तूफान आ गया है. आरोपों की ताजा बौछार में एडीजीपी पर सोने की तस्करी के रैकेट और अपराधियों के गिरोहों से संबंध होने और गैरकानूनी तरीके से संपत्ति बटोरने के आरोप लगाए गए हैं. सरकार को इस पर प्रतिक्रिया करने और उच्च स्तरीय जांच का आदेश देने में तीन दिन लग गए जबकि सत्तारूढ़ गठजोड़ और विपक्ष दोनों ने उन पर दबाव बनाया. विपक्ष ने तो उनसे इस्तीफे की भी मांग की. इस पूरे घटनाक्रम ने उस पुराने विवाद की यादें ताजा कर दीं जिसने 2020 में पिनाराई के पहले कार्यकाल में मुख्यमंत्री कार्यालय को हिला दिया था. उस वक्त उनके प्रमुख सचिव शिवशंकर को निलंबित किया गया था और बाद में संवेदनशील राजनयिक रास्ते से सोने की तस्करी में उनकी कथित भूमिका को लेकर प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हें गिरफ्तार भी किया.
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