जानलेवा बहाली
India Today Hindi|25th September, 2024
अगस्त की 29 तारीख को जब सुमित यादव घर से निकले तो उन्होंने अपनी मां रूबी देवी से जाते-जाते कहा, “गे हम पुलिस बनिये जेई (मां, मैं पुलिस बनकर ही रहूंगा)." झारखंड के गोड्डा जिले में एक गांव है केरवार. इसी गांव का यह इंटर का छात्र उस दिन अपने घर से 146 किलोमीटर दूर गिरिडीह जिले में चल रहे उत्पाद विभाग के सिपाही पद पर बहाली के लिए आयोजित दौड़ में हिस्सा लेने वहां पहुंचा था.
आनंद दत्त
जानलेवा बहाली

महज 19 साल का यह युवा इतनी दूर आया तो था जिंदगी बनाने, नसीब हुई मौत. भर्ती के लिए निर्धारित 10 किलोमीटर की दौड़ एक घंटे में पूरा करने के बाद सुमित बेहोश हो गए. आनन-फानन में उन्हें गिरिडीह सदर अस्पताल पहुंचाया गया. फिर वहां से धनबाद रेफर किया गया लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई. सुमित के पिता गोरेलाल यादव खेती और दिहाड़ी मजदूरी कर अपने तीन बेटों को पढ़ा रहे थे और उन्हें अपने इस बेटे से बड़ी उम्मीदें थीं.

झारखंड में बीते 22 अगस्त से झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) की ओर से उत्पाद विभाग के सिपाही पद पर बहाली के लिए कई जगह दौड़ आयोजित हो रही हैं. तय मानक के मुताबिक लड़कों को एक घंटे में 10 किमी, तो लड़कियों को 40 मिनट में 5 किमी दौड़ना है.

हालांकि सात जिलों में आयोजित कुल तीन चरणों-दौड़, लिखित परीक्षा और फिर मेडिकल-के पहले चरण को ही पार करने में अब तक 12 युवाओं की जान जा चुकी है. इनमें भी सबसे ज्यादा पलामू में पांच, हजारीबाग और गिरिडीह में दो-दो, रांची, जमशेदपुर और साहिबगंज में एक-एक युवा की मौत हो गई. हालांकि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी 17 युवाओं की मौत का दावा कर रहे हैं.

मृतकों में झारखंड के अलग-अलग जिलों के अलावा बिहार के युवक भी शामिल हैं. सरकारी विज्ञप्ति के मुताबिक, 583 पदों पर भर्ती के लिए कुल 5,13,8 32 आवेदन आए हैं. यानी एक सीट के लिए 850 युवा प्रतिस्पर्धा में हैं. झारखंड में इस पद पर 44 साल बाद रिक्तियां आई हैं.

पलामू जिले के 31 वर्षीय अरुण कुमार मृतकों में शामिल हैं. वे अपने चार भाईबहनों में सबसे छोटे थे. उनके पिता गिरिजा राम बताते हैं, "हम किसानी से गुजारा करते हैं. ऐसे पदों पर बहाली के लिए बड़े घर के बच्चे नहीं जाते. हम जैसे गरीब के बच्चे ही जाते हैं. मेरा बेटा पांच साल से रांची में रहकर झारखंड पब्लिक सर्विस कमिशन (जेपीएससी) की तैयारी कर रहा था. दौड़ पूरी करने के बाद वह बेहोश हो गया. तत्काल कोई इलाज न मिला क्योंकि वहां कोई मेडिकल टीम न थी. बाद में सदर अस्पताल में, फिर वहां से एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया. वहीं उसकी मौत हो गई."

कैसे हुई इतनी मौतें?

Denne historien er fra 25th September, 2024-utgaven av India Today Hindi.

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