कम होती बसों के मामले में बेबस
India Today Hindi|16th October, 2024
एक तरफ जहां अभी भी आर. जी. बलात्कार और हत्याकांड के मामले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच चल रही है, वहीं ताजा कानूनी पचड़ा बसों का है जिसमें पश्चिम बंगाल सरकार फंसी है. हालांकि बसों का यह मामला तुलनात्मक रूप से कम नुक्सान पहुंचाने वाला है.
अर्कमय दत्ता मजूमदार
कम होती बसों के मामले में बेबस

दुर्गा पूजा महोत्सव के बाद सरकार कभी भी सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल करेगी और कलकत्ता हाइकोर्ट की ओर से 2008 में दिए गए आदेश को संशोधित करने का अनुरोध करेगी. अदालत कोलकाता महानगर क्षेत्र में चलने वाले 15 वर्ष से ज्यादा पुराने सभी वाणिज्यिक वाहनों को हटाने का आदेश दिया था. यह कदम शहर की 'गायब होती बसों' की स्थिति के कारण हताशा में उठाया जा रहा है. कभी कोलकाता वालों के आवागमन का पसंदीदा तरीका रही इन बसों की संख्या में लगातार कमी आई है. इस सचाई की गहरी चोट तब पड़ी जब अधिकारियों ने देखा कि 2008 के आदेश की बदौलत 2024-25 में करीब 1,500 निजी मिल्कियत वाली बसें सड़क से हट जाएंगी. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने परिवहन विभाग से इस साल अगस्त में वाहन स्क्रैपिंग नीति का कानूनी तरीके से विरोध करने के लिए कहा.

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