शांति के लिए मिले हाथ
India Today Hindi|November 06, 2024
एक साथ तस्वीरें यकीनन संदेश देती हैं, रिश्तों में आई गरमाहट की. रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान 23 अक्तूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पिछले पांच साल में पहली द्विपक्षीय बैठक हुई.
प्रदीप आर. सागर
शांति के लिए मिले हाथ

करीब 50 मिनट की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत-चीन संबंध दुनिया में अमन-चैन के लिए अहम हैं और रिश्तों का आधार "आपसी विश्वास, आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता " होना चाहिए. भारत में चीन के राजदूत जू फेइहोंग ने एक ट्वीट में बैठक का सार बताया, "दोनों पक्षों को संचार और सहयोग को मजबूत करने, मतभेदों तथा असहमतियों को दुरुस्त करने और विकास की आकांक्षाएं पूरी करने के लिए एक-दूसरे की सहायता की जरूरत है."

मोदी और शी की इस भेंट की वजह बेहद विवादास्पद जमीनी टकराव में आई कुछ नरमी थी. 21 अक्तूबर को एलान हुआ कि दोनों देश पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपनी-अपनी सेना की 'गश्त ' के मामले में एक समझौते पर पहुंच गए हैं. यह भारत और चीन के बीच सैन्य गतिरोध के हल में उठे शुरुआती कदम हो सकते हैं, जो जून 2020 में गलवान घाटी की झड़प के बाद शुरू हुआ था और दो एटमी - शक्ति पड़ोसियों के रिश्तों में भारी बर्फ जम गई थी. गश्त पर समझौता छोटी-सी सफलता ही है क्योंकि गलवान घाटी और पैंगोंग त्सो जैसी एलएसी की दूसरी जगहों पर दोनों तरफ की सेना के मोर्चे से हटने और बफर जोन बनाए जाने से टकराव कम हो गया था लेकिन दो विवादास्पद इलाकों में कोई हल नहीं निकल पाया था. अब उन इलाकों देपसांग मैदान और डेमचोक में गश्त का अधिकार दोनों सेनाओं को बहाल कर दिया गया है, जहां हजारों सैनिक आमनेसमाने डटे हैं. 2017 में डोकलाम में 73 दिनों का गतिरोध भी इसी तरह मोदी की एक और ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए बीजिंग यात्रा से कुछ दिन पहले हल हुआ था.

Denne historien er fra November 06, 2024-utgaven av India Today Hindi.

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