इस मौके पर आयोजित सभा में उन्होंने कहा, "अगर हम एक रहेंगे तो नेक रहेंगे, सुरक्षित रहेंगे. बटेंगे तो कटेंगे. बांग्लादेश में देख रहे हो न, वो गलती यहां नहीं होनी चाहिए..." यहीं से 'बटेंगे तो कटेंगे' का नारा योगी आदित्यनाथ की हिंदुत्व की राजनीति का पर्याय बन गया. दीपावली के पटाखों का शोर जैसे ही थमा, योगी के नारे को काउंटर करने के लिए समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मोर्चा संभाला. अखिलेश ने 2 नवंबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट में मुख्यमंत्री योगी या किसी अन्य नेता का नाम लिए बिना लिखा, "उनका 'नकारात्मक नारा' उनकी निराशा और विफलता का प्रतीक है. इस नारे ने साबित कर दिया है कि जो 10 फीसद मतदाता बचे हैं वे भी पार्टी छोड़ने के कगार पर हैं, इसीलिए वे उन्हें डराकर एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन ऐसा कुछ नहीं होने वाला है." 'बटेंगे तो कटेंगे' के नारे के संदर्भ में अखिलेश ने यह भी लिखा कि देश के इतिहास में यह नारा 'निकृष्टतम-नारे' के रूप में दर्ज होगा और उनके राजनैतिक पतन के अंतिम अध्याय के रूप में आखिरी 'शाब्दिक कील-सा' साबित होगा. योगी के नारे के सामने अखिलेश ने पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक वोट बैंक में एकता लाने के लिए 'जुड़ेंगे तो जीतेंगे' का नारा लगाया. इसके बाद सपा की होर्डिंग और बैनर पर 'न बटेंगे न कटेंगे, पीडीए के संग रहेंगे.', 'जुड़ेंगे तो जीतेंगे' जैसे नारे ध्यान खींचने लगे.
Denne historien er fra November 20, 2024-utgaven av India Today Hindi.
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