अगर जटिल को सरल शब्दों में बयान करने की क्षमता ही असली प्रतिभा है तो अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के तौर पर डोनाल्ड ट्रंप की ऐतिहासिक वापसी उसकी उम्दा मिसाल कही जा सकती है. जीत के बाद फ्लोरिडा में पहले भाषण में ट्रंप ने अपना एजेंडा दो-टूक मगर असरदार ढंग से जाहिर किया. उन्होंने कहा, "असल है आम समझ. हम सुरक्षित सीमाएं चाहते हैं. हम सुरक्षा चाहते हैं. हम चाहते हैं कि सब अच्छा और सुरक्षित हो. हम बेहतरीन शिक्षा चाहते हैं. मजबूत और सशक्त फौज चाहते हैं और आदर्श स्थिति में ह उसका उपयोग नहीं करना चाहते. मैं युद्ध शुरू करने नहीं जा रहा. मैं युद्धों को रोकने जा रहा हूं. हम फिर अमेरिका को सुरक्षित, ताकतवर, समृद्ध और मुक्त बनाएंगे." भाषण के अंत में उन्होंने कहा, "हम वादे करते हैं. वादे निभाते हैं." कुछ ही राजनेताओं के पास ऐसी दो-टूक और साफ विश्व-दृष्टि है, जिसने शायद अमेरिकी मतदाताओं का दिल छू लिया. लोगों ने ट्रंप के खिलाफ विभिन्न संघीय अदालतों में चले यौन शोषण और अन्य गंभीर अपराधों को नजरअंदाज करके भारी बहुमत से उनकी वापसी कराई. ट्रंप के तमाम वादे वही हैं जो उन्होंने 2016-2020 के दौरान पहले कार्यकाल में राष्ट्रपति पद पर जीत की खातिर किए थे. उनमें से वे कुछ पर ही अमल कर पाए, वह भी सीमित सफलता के साथ. यही वजह थी कि राष्ट्रपति जो बाइडन ने लगातार दूसरा कार्यकाल हासिल करने का उनका प्रयास नाकाम कर दिया. लेकिन यह सब थोड़े अंतराल के लिए ही रहा क्योंकि ट्रंप फिर पूरे जोश के साथ लौटे हैं और 20 जनवरी, 2025 को औपचारिक सत्ता पाने के बाद अमेरिकियों के सपने पूरे करने का बुलंद इरादा रखते हैं.
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