सस्ती विमान सेवाएं, 2003
वर्ष 2003 में भारतीय सेना से सेवानिवृत्त कैप्टन गोरुर रामस्वामी आयंगर गोपीनाथ ने भारतीयों को पहली बार एक ऐसे नए शब्द से परिचित कराया जो विरो अर्थ वाला लगता था: सस्ती एयरलाइन. 90 के दशक और यहां तक कि 2000 के दशक के प्रारंभ में भारत में हवाई जहाज का सफर अमीरों की ही गतिविधि माना जाता था. बाकी लोग रेलगाड़ी पकड़ते थे.
गोपीनाथ ने एक ऐसे भारत की कल्पना की जहां एयरलाइंस का सिर्फ एक काम थाः लोगों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना. इस तरह 25 अगस्त, 2003 को बेंगलूरू से कर्नाटक के हुबली तक की उड़ान के साथ एयर डेक्कन शुरू हुई. यह घरेलू विमानन कंपनी थी जिसमें उस दौर की इंडियन एयरलाइंस और जेट एयरवेज जैसी पूर्ण सेवा विमानन कंपनियों की तरह भोजन नहीं था, शानदार सीटें और दूसरे ताम-झाम भी नहीं थे.
₹3,018 करोड़ की रकम इंडिगो ने 2005 में अपने आइपीओ से जुटाई थी जो भारतीय एयरलाइन की ओर से तब जुटाई सबसे ज्यादा रकम थी
क्या आप जानते हैं? डिजाइनर राजेश प्रताप सिंह और अंबिका पिल्लै ने 2010 में इंडिगो की यूनिफॉर्म तैयार की थी. इसके साथ एयरलाइन ने अपना सबसे पहला टीवी कमर्शियल 'समय पर होना सबसे अच्छी बात है' शुरू किया
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