जिसने देश की आत्मा को झकझोर डाला
India Today Hindi|January 01, 2025
एक युवा फिजियोथैरेपी इंटर्न के साथ राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर हुए वीभत्स सामूहिक बलात्कार पर भड़के लोगों का गुस्सा इतना जबरदस्त था कि नीति-निर्माताओं के पास बलात्कार और सजा पर देश के मौजूदा कानूनों को बदलने और उन्हें ज्यादा सख्त बनाने के सिवा कोई चारा न था
कौशिक डेका
जिसने देश की आत्मा को झकझोर डाला

निर्भया सामूहिक बलात्कार, 2012

सोलह दिसंबर, 2012 की उस सर्द रात जैसे ही यह खबर आई, पूरा देश सिहर उठा और उसने यह दर्द अपने अंदर भी महसूस किया. 23 साल की एक युवा फिजियोथैरेपी इंटर्न राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में उस शाम एक प्राइवेट बस में बैठी, इस बात से अनजान कि एक अकल्पनीय खौफ उसका इंतजार कर रहा है. उसे निर्भया नाम दिया गया लेकिन हम यह कभी नहीं जान सकते कि वह कितने गहरे खौफ में रही होगी जब छह लोगों ने निर्ममता से सामूहिक बलात्कार किया और उस पर हमला किया, उसे इतनी गंभीर हालत में छोड़ दिया कि वह कुछ दिन बाद ही चल बसी.

वहशीपन की इस करतूत - लोहे की एक रॉड उसके अंदर घुसा दी और उसकी अंतड़ियां बाहर निकाल दीं, उसका निर्वस्त्र शरीर सड़क पर फेंक दिया-ने पूरे देश को झकझोर दिया, देशभर में विरोध शुरू हो गया, लाखों लोग निर्भया के लिए इंसाफ और सिस्टम में बदलाव की मांग को लेकर ठंड का सामना करते हुए, पुलिस के डंडों और पानी की बौछारों की परवाह किए बगैर सड़कों पर निकल आए.

Denne historien er fra January 01, 2025-utgaven av India Today Hindi.

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