यह पूर्वोत्तर का इकलौता राज्य है, जहां भारतीय जनता पार्टी की पैठ हाशिए पर है। पड़ोसी राज्य मणिपुर में जारी कुकी-मैतेई टकराव के घटनाक्रम से उसकी पकड़ और ढीली पड़ गई है। यह राज्य में सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के नेता तथा मुख्यमंत्री जोरमथंगा के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा करने से इनकार से भी समझा जा सकता है। उसके बाद मोदी की रैली ही रद्द हो गई। एमएनएफ केंद्र में एनडीए का हिस्सा है, मगर मणिपुर के मुद्दे पर लोकसभा में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का भी उसके इकलौते सांसद ने समर्थन किया था। फिर भी, कांग्रेस के नेता राहुल गांधी अक्टूबर में तीन दिवसीय दौरे में वहां पहुंचे थे तो उन्होंने भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को ही मुद्दा बनाया था। उन्होंने एमएनएफ और मौजूदा विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) पर भाजपा से साठगांठ का आरोप लगाया, जिसकी नीतियों से, बकौल उनके, मणिपुर जल रहा है।
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