मकर संक्रांति या पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में खिचड़ी के दिन राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता लालू प्रसाद के घर चूड़ा-दही के भोज में तत्कालीन महागठबंधन के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के खास संगी- साथियों के साथ पहुंचे तो नजारा खुशनुमा मगर हल्की तुर्शी लिए हुए था। लालू प्रसाद और उनकी पत्नी पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के बगल में बैठे नीतीश कुछ गंभीर मुद्रा में चूड़ा-दही का लुत्फ उड़ाने में लगे थे, लेकिन दूसरी मेज पर उनके साथी ललन सिंह वगैरह चेहरे पर मुस्कान लिए लालू-राबड़ी और दूर बैठे उप-मुख्यमंत्री (अब पूर्व) तेजस्वी यादव के साथ कहकहों में जुटे थे।
अब दूसरी घटना पर गौर कीजिए। दिसंबर में पांच विधानसभाओं के चुनाव नतीजों (जिसमें मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस अप्रत्याशित रूप से हार गई) के कुछ दिन बाद राज्यसभा के उप-सभापति, जदयू राज्यसभा सदस्य हरिवंश कई अरसे बाद पटना में मुख्यमंत्री आवास पर नीतीश से मिलने पहुंचे थे। हरिवंश ने राज्यसभा में तीन कृषि कानूनों (जो बाद में वापस ले लिए गए), जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक जैसे कुछ विधेयकों को ध्वनि मत से पास घोषित कर दिया था और विपक्ष की मत-विभाजन की मांग को ठुकरा दिया था, लेकिन नीतीश ने अगस्त 2022 में एनडीए छोड़ने के बाद भी हरिवंश के मामले में कुछ नहीं कहा था।
शायद इन संकेतों को राजद और 'इंडिया' ब्लॉक के कांग्रेस सहित दूसरे दलों ने पढ़ लिया था, इसलिए जनवरी के शुरू में दिल्ली की बैठक में तृणमूल कांग्रेस में की ममता बनर्जी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को गठबंधन का अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव रखा था। दूसरी वर्चुअल बैठक में द्रमुक नेता, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के प्रस्ताव पर नीतीश को संयोजक बनाने की बात हुई तो ममता की गैर-हाजिरी में कांग्रेस ने बाद में विचार करने को कहा। क्या 'इंडिया' के नेता नीतीश की चाल भांप गए थे? क्या इसकी काट की तैयारी कर ली गई थी? क्या बिहार में राजद ने इसकी सियासी तैयारी कर ली है? शायद हां और नहीं दोनों।
Denne historien er fra February 19, 2024-utgaven av Outlook Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra February 19, 2024-utgaven av Outlook Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
'वाह उस्ताद' बोलिए!
पहला ग्रैमी पुरस्कार उन्हें विश्व प्रसिद्ध संगीतकार मिकी हार्ट के साथ काम करके संगीत अलबम के लिए मिला था। उसके बाद उन्होंने कुल चार ग्रैमी जीते
सिने प्रेमियों का महाकुंभ
विविध संस्कृतियों पर आधारित फिल्मों की शैली और फिल्म निर्माण का सबसे बड़ा उत्सव
विश्व चैंपियन गुकेश
18वें साल में काले-सफेद चौखानों का बादशाह बन जाने वाला युवा
सिनेमा, समाज और राजनीति का बाइस्कोप
भारतीय और विश्व सिनेमा पर विद्यार्थी चटर्जी के किए लेखन का तीन खंडों में छपना गंभीर सिने प्रेमियों के लिए एक संग्रहणीय सौगात
रफी-किशोर का सुरीला दोस्ताना
एक की आवाज में मिठास भरी गहराई थी, तो दूसरे की आवाज में खिलंदड़ापन, पर दोनों की तुलना बेमानी
हरफनमौला गायक, नेकदिल इंसान
मोहम्मद रफी का गायन और जीवन समर्पण, प्यार और अनुशासन की एक अभूतपूर्व कहानी
तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे
रफी जैसा बनने में केवल हुनर काम नहीं आता, मेहनत, समर्पण और शख्सियत भी
'इंसानी भावनाओं को पर्दे पर उतारने में बेजोड़ थे राज साहब'
लव स्टोरी (1981), बेताब (1983), अर्जुन (1985), डकैत (1987), अंजाम (1994), और अर्जुन पंडित (1999) जैसी हिट फिल्मों के निर्देशन के लिए चर्चित राहुल रवैल दो बार सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित हो चुके हैं।
आधी हकीकत, आधा फसाना
राज कपूर की निजी और सार्वजनिक अभिव्यक्ति का एक होना और नेहरूवादी दौर की सिनेमाई छवियां
संभल की चीखती चुप्पियां
संभल में मस्जिद के नीचे मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका के बाद हुई सांप्रदायिकता में एक और कड़ी