पैसे और पॉलिटिक्स की फिरकी
Outlook Hindi|February 19, 2024
युवा विकेटकीपर बल्लेबाज ईशान किशन को वाकई आराम की दरकार थी या आराम करने भेज दिया गया?
मंथन रस्तोगी
पैसे और पॉलिटिक्स की फिरकी

भारतीय क्रिकेट में रुपये बरसते हैं। इस बोर्ड की कमाई कई देशों की जीडीपी से ज्यादा है। भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) की कमाई का सीधा संबंध देश में क्रिकेट की लोकप्रियता से है। जितना ज्यादा क्रिकेट, उतना ज्यादा टर्नओवर। यह विडंबना ही है कि कमाई करने के लिए मैदान पर पदाधिकारी नहीं खिलाड़ी उतरते हैं। इस कमाई के लिए लगातार खेलना उन्हें कई बार बुरी तरह से थका देता है। लेकिन आराम का नियम चुनिंदा खिलाड़ियों पर ही लागू होता है। अगर कोई खिलाड़ी खुद आराम की मांग करे, तो वह टीम से सिरे से गायब हो जाता है। जैसे ईशान किशन। आश्चर्यजनक रूप से ईशान किशन खेल के तीनों ही प्रारूपों- टेस्ट, एकदिवसीय और टी20 से अचानक गायब हो गए हैं। दबे स्वरों में चर्चा है कि मानसिक तनाव दूर करने के लिए मांगी गई छुट्टी का खामियाजा किशन को भुगतना पड़ रहा है। सवाल उठता है कि क्या वाकई भारतीय टीम बहुत ज्यादा खेल रही है? या सिर्फ कमाई के लिए युवा खिलाड़ियों की प्रतिभा को नजरअंदाज किया जा रहा है? 

क्रिकेट मौके और परिस्थितियों का खेल है। भारत का क्रिकेट भी इससे अछूता नहीं है। भारत में क्रिकेट को लेकर हमेशा से बहुत ज्यादा दीवानगी रही है। क्रिकेट में नए-नए प्रयोग होने से इसमें रोमांच भी बढ़ा और दर्शक भी। पहले इस खेल में पैसा कम था, तो मैच भी कम होते थे। पैसा बढ़ा, तो दर्शकों को लगातार व्यस्त रखने के लिए क्रिकेट बढ़ गया। टेलिविजन आने के बाद इस खेल में बहुत से बदलाव आए और मोबाइल आ जाने से तो इस खेल की कहानी ही बदल गई। इस बीच क्रिकेट देखने और खेलने का तरीका भी बदला। दूसरे शब्दों में कहें, तो क्रिकेट बहुत आधुनिक हो गया। तकनीकी रूप से बदलाव हुए, तो मैचों की संख्या में बढ़ोतरी हो गई।

Denne historien er fra February 19, 2024-utgaven av Outlook Hindi.

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