शिक्षा के क्षेत्र में गार्गी कार्यक्रम के माध्यम से नारी शिक्षा का अलख जगा। गांव-देहात की होनहार बेटियां इससे जुड़तीं चलीं गईं
पिताजी के तबादले-दर-तबादले के बाद जब मैं भोपाल पहुंचा, तो स्कूल में कुछ छात्रों ने व्यंग्य किया, “ये बिहारी है।” किसी ने “ऐ बिहारी” कह कर भी पुकारा। सुन कर बड़ा खराब लगा। मैं सोचने लगा, आखिर बिहार में ऐसा क्या है, जिसकी वजह से इस राज्य के बारे में इस तरह उपहास किया जा रहा है। उसी दिन ठान लिया कि एक दिन सबको बताऊंगा कि बिहार क्या है। हालांकि बिहार के मिट्टी-पानी ने ऐतिहासिक रूप से अपनी उर्जा से पूरी दुनिया को पहले ही बता दिया है। फिर उम्र बढ़ने के साथ यह एहसास तो हुआ कि कहीं-कहीं बिहार के लोगों के मन में दीनता-हीनता का बोध जरूर है। तब मैंने ‘लेट अस इन्सपायर बिहार’ नाम से एक क्रार्यक्रम शुरू किया। इस कार्यक्रम के जरिये यह संदेश देना था कि हमारे पूर्वज कितने महान और बड़े शासक थे।
Denne historien er fra March 04, 2024-utgaven av Outlook Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra March 04, 2024-utgaven av Outlook Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
राष्ट्रीय दिशा को तय करने वाले नतीजे
हरियाणा चुनाव के नतीजों के बाद अब महाराष्ट्र के नतीजे तय करने वाले हैं कि भाजपा अपनी सियासत और एजेंडे को देश में जारी रख सकेगी या उसे विपक्ष से कोई चुनौती मिलेगी
शहरनामा - हुगली
यूं तो पश्चिम बंगाल में गंगा नदी के किनारे बसा जिला हुगली 1350 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है, लेकिन यहां हुगली नाम का एक छोटा-सा शहर भी है।
इन्फ्लुएंसरों के भरोसे बॉलीवुड
स्क्रीन पर सोशल मीडिया और इन्फ्लुएंसरों का बॉलीवुड कर रहा अच्छा, बुरा और बदसूरत चित्रण
घर के शेर, घर में ढेर
लंबे दौर बाद घरेलू मैदान पर न्यूजीलैंड से एकतरफा हार से सितारों और कोच पर उठे सवाल
'तलापति' का सियासी दांव
दक्षिण की सियासत में एक नए सितारे और उसकी पार्टी के प्रवेश ने पुराने सवालों को जिंदा कर दिया है
उलझन सुलझे ना
विधानसभा में हार के बाद कांग्रेस के लिए अब नेता प्रतिपक्ष चुनना भी बना भारी चुनौती
आधा देश जद में
पचास सीटों पर विधानसभा और संसदीय उपचुनाव केंद्र की सत्ताधारी पार्टी और विपक्षी दलों की बेचैनी के कारण आम चुनाव जितने अहम
दोतरफा जंग के कई रूप
सीधी लड़ाई भले भाजपा और झामुमो के बीच, लेकिन निर्दलीय उम्मीदवारों और छोटे दलों की भूमिका नतीजों को तय करने में अहम
मराठी महाभारत
यह चुनाव उद्धव ठाकरे और शरद पवार की अगुआई वाली क्षेत्रीय पार्टियों के लिए अपनी पहचान और राजनैतिक अस्तित्व बचाने की लड़ाई, तो सत्तारूढ़ भाजपा के लिए भी उसकी राजनीति की अग्निपरीक्षा
पहचान बचाओ
मराठा अस्मिता से लेकर आदिवासी अस्मिता तक चले अतीत के संघर्ष अब वजूद बचाने के कगार पर आ चुके