लोकसभा चुनाव से पहले दो सबसे चर्चित राजनैतिक विज्ञापनों ने सबका ध्यान खींचा। एक में एक लड़की अपने लिए उपयुक्त दूल्हे का इंतजार कर रही है जबकि कुछ पुरुष उसके लिए आपस में झगड़ रहे हैं। दूसरे में कुछ टी-शर्ट हैं जिन पर 'घोटाला', 'वसूली', 'फर्जीवाड़ा' लिखा हुआ है और उन्हें एक वॉशिंग मशीन में फेंका जाता तो सब साफ होकर बाहर निकल आती हैं और उन पर लिखा होता है 'बीजेपी मोदी वॉश।' चुनावी बॉन्डों के सामने आए आंकड़ों से अब साफ हो चुका है कि हमारे चुनावों में बहुत भारी धनबल लगता है और उसका बड़ा हिस्सा विज्ञापनों पर खर्च किया जाता है, चाहे वे बैनर पोस्टर हों, डिजिटल प्रचार हो, अखबार और टीवी हो या रेडियो पर प्रचार। इन्हें विज्ञापन जगत के कुछ सबसे मेधावी लोग बनाते हैं ताकि पार्टी विशेष के वादों और कामों की ओर मतदाताओं का ध्यान खींचा जा सके। कभी-कभार ऐसे विज्ञापन विरोधी दलों को निशाना बनाने के लिए भी तैयार किए जाते हैं।
इस लोकसभा चुनाव में भी हमने देखा कि पहला चरण शुरू होने से पहले ही हमारे टीवी, मोबाइल और सड़कों पर राजनैतिक दलों के ऐसे राजनैतिक विज्ञापनों की भरमार हो गई जिनमें दूसरे दलों पर खुलकर लांछन लगाया जा रहा है।
कैसे बनते हैं राजनैतिक विज्ञापन
किसी भी लोकतंत्र में चर्चा का सबसे दिलचस्प सवाल यह होता है कि किसी पार्टी को पैसा कहां से मिल रहा है और कहां जा रहा है। बीते बरसों के दौरान राजनैतिक दलों के परदे के पीछे के कारोबार बहुत बढ़ गए हैं। लोगों और कंपनियों से राजनैतिक दलों को जो पैसा मिलता है उसे वे ऐसी परामर्शदात्री कंपनियों पर खर्च करती हैं जो पार्टी के संदेशों को प्रसारित कर सकें और डिजिटल, प्रिंट, टीवी, रेडियो आदि माध्यमों के लिए विज्ञापन अभियान तैयार कर सकें। इसमें सड़कों पर दिखने वाले बैनर-पोस्टर भी शामिल होते हैं।
Denne historien er fra May 13, 2024-utgaven av Outlook Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra May 13, 2024-utgaven av Outlook Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
'वाह उस्ताद' बोलिए!
पहला ग्रैमी पुरस्कार उन्हें विश्व प्रसिद्ध संगीतकार मिकी हार्ट के साथ काम करके संगीत अलबम के लिए मिला था। उसके बाद उन्होंने कुल चार ग्रैमी जीते
सिने प्रेमियों का महाकुंभ
विविध संस्कृतियों पर आधारित फिल्मों की शैली और फिल्म निर्माण का सबसे बड़ा उत्सव
हरफनमौला गायक, नेकदिल इंसान
मोहम्मद रफी का गायन और जीवन समर्पण, प्यार और अनुशासन की एक अभूतपूर्व कहानी
असद का अंत
बशर अल-असद के राज की शुरुआत में लोकतांत्रिक सुधारों से लेकर उससे पलटाव और फिर कट्टर ताकतों के कब्जे की कहानी
बालमन के गांधी
ऐसे दौर में जब गांधी की राजनीति, अर्थनीति, समाजनीति, सर्व धर्म समभाव सबसे देश काफी दूर जा चुका है, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का रंग-ढंग बदलता जा रहा है, समूचे इतिहास की तरह स्वतंत्रता संग्राम के पाठ में नई इबारत लिखी जा रही है, गांधी के छोटे-छोटे किस्सों को बच्चों के मन में उतारने की कोशिश वाकई मार्के की है। नौंवी कक्षा की छात्रा रेवा की 'बापू की डगर' समकालीन भारत में विरली कही जा सकती है।
स्मृतियों का कोलाज
वंशी माहेश्वरी भारतीय और विश्व कविता की हिंदी अनुवाद की पत्रिका तनाव लगभग पचास वर्षों से निकालते रहे हैं। सक्षम कवि ने अपने कवि रूप को पीछे रखा और बिना किसी प्रचार-प्रसार के निरंतर काव्य- सजून करते रहे हैं।
लाल और चमकीला का पंजाब
बॉलीवुड के लिए कहानियों और संगीत का समृद्ध स्रोत रहा राज्य अब परदे पर नशे, फूहड़पन का पर्याय बना
विवाह बाजार में आमद
भारत में महंगी और भव्य शादियों की चाह ने इसे एक अलग व्यापार बना दिया है, यह बाजार लगातार तेजी से बढ़ता जा रहा और कंपनियों की पेशकश भी बढ़ रही
अकाली संकट के 'बादल'
श्री अकाल तख्त साहिब के दो दिसंबर को सुनाए फैसले से पंथक राजनीति पर सवाल
भुट्टो की नजर में नेहरू
नेहरू को कलंकित किए जाने के दौर में भारत के कटुतम आलोचकों में से एक नेता का उनके बारे में आकलन