चालीस पार चढ़े पारे के साथ हरियाणा का सियासी पारा सभी सीटों पर उम्मीदवारों के ऐलान के साथ उछाल ले रहा है। गेहूं की फसल की कटाई से फारिग हुए किसान सत्तारूढ़ भाजपा के उम्मीदवारों के चुनाव प्रचार के विरोध में मोर्चे पर डटे हैं। भाजपा राज्य की सभी दस संसदीय सीटों पर लड़ रही है। राज्य की ‘डबल इंजन’ सरकार (भाजपा) के सामने प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस बड़ी चुनौती है जबकि अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही चौटाला परिवार की जननायक जनता पार्टी (जजपा) और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) हाशिए पर हैं। ‘इंडिया’ ब्लॉक में एक सीट कुरुक्षेत्र आम आदमी पार्टी के जिम्मे है, बाकी नौ कांग्रेस के पास। राज्य में छठे चरण में 25 मई को वोट पड़ना है।
इस बार चुनाव में कांग्रेस ही नहीं, बल्कि भाजपा, जजपा तथा इनेलो सभी गहरी गुटबाजी और दलबदल से जूझ रहे हैं। भाजपा का दामन छोड़कर वरिष्ठ नेता बीरेंद्र सिंह और उनके सांसद पुत्र बृजेंद्र सिंह ने कांग्रेस का हाथ थामा है लेकिन टिकट के लिए बृजेंद्र हाथ मलते रह गए। उधर, जजपा भी नेताओं से खाली हो रही है। देवीलाल परिवार की इनेलो और जजपा में तीन दशक गुजारने के बाद जजपा के प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह ने अपने सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ कांग्रेस का हाथ थामा है। भाजपा के दस उम्मीदवारों में छह कांग्रेस के बागी हैं।
पारिवारिक कलह की शिकार देवीलाल की सियासी विरासत इनेलो, जजपा तथा भाजपा में बंट गई है। हिसार से भाजपा के टिकट पर देवीलाल के पुत्र रणजीत चौटाला के सामने जजपा से उनके बड़े भाई पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला की दो बार की विधायक रही पुत्रवधु नैना चौटाला (अजय चौटाला की पत्नी) डटी हैं। फिर, वहीं से इनेलो के टिकट पर प्रताप चौटाला की पुत्रवधु सुनैना चौटाला (रवि चौटाला की पत्नी) भी खड़ी हैं। मनोहरलाल खट्टर तथा नायब सैनी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे रणजीत को भाजपा के ही कुलदीप बिश्नोई की नाराजगी भारी पड़ सकती है। टिकट न मिलने से नाराज कुलदीप और आदमपुर से उनके विधायक पुत्र भव्य बिश्नोई ने रणजीत चौटाला के चुनाव प्रचार से दूरी बनाई हुई है। इस सीट पर कांग्रेस के जयप्रकाश की मुश्किलें टिकट न मिलने से नाराज बीरेंद्र सिंह के सांसद पुत्र बृजेंद्र सिंह बढ़ा सकते हैं।
Denne historien er fra May 27, 2024-utgaven av Outlook Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra May 27, 2024-utgaven av Outlook Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
'वाह उस्ताद' बोलिए!
पहला ग्रैमी पुरस्कार उन्हें विश्व प्रसिद्ध संगीतकार मिकी हार्ट के साथ काम करके संगीत अलबम के लिए मिला था। उसके बाद उन्होंने कुल चार ग्रैमी जीते
सिने प्रेमियों का महाकुंभ
विविध संस्कृतियों पर आधारित फिल्मों की शैली और फिल्म निर्माण का सबसे बड़ा उत्सव
विश्व चैंपियन गुकेश
18वें साल में काले-सफेद चौखानों का बादशाह बन जाने वाला युवा
सिनेमा, समाज और राजनीति का बाइस्कोप
भारतीय और विश्व सिनेमा पर विद्यार्थी चटर्जी के किए लेखन का तीन खंडों में छपना गंभीर सिने प्रेमियों के लिए एक संग्रहणीय सौगात
रफी-किशोर का सुरीला दोस्ताना
एक की आवाज में मिठास भरी गहराई थी, तो दूसरे की आवाज में खिलंदड़ापन, पर दोनों की तुलना बेमानी
हरफनमौला गायक, नेकदिल इंसान
मोहम्मद रफी का गायन और जीवन समर्पण, प्यार और अनुशासन की एक अभूतपूर्व कहानी
तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे
रफी जैसा बनने में केवल हुनर काम नहीं आता, मेहनत, समर्पण और शख्सियत भी
'इंसानी भावनाओं को पर्दे पर उतारने में बेजोड़ थे राज साहब'
लव स्टोरी (1981), बेताब (1983), अर्जुन (1985), डकैत (1987), अंजाम (1994), और अर्जुन पंडित (1999) जैसी हिट फिल्मों के निर्देशन के लिए चर्चित राहुल रवैल दो बार सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित हो चुके हैं।
आधी हकीकत, आधा फसाना
राज कपूर की निजी और सार्वजनिक अभिव्यक्ति का एक होना और नेहरूवादी दौर की सिनेमाई छवियां
संभल की चीखती चुप्पियां
संभल में मस्जिद के नीचे मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका के बाद हुई सांप्रदायिकता में एक और कड़ी