संजय लीला भंसाली की हीरामंडी ने अतीत के पन्नों से फिर तवायफों की एक शानदार दास्तान लोगों के सामने रखने की कोशिश की है। सच तो यह है कि सिनेमा और संगीत जगत की चमक को सबसे पहले भांपने का काम हिंदुस्तान की तवायफों और देवदासियों ने ही किया था।
स्वर्ग की सुंदरता
जब भरत मुनि ने नाट्यशास्त्र की रचना की तो नाट्य में रमणीयता लाने के लिए ब्रह्मा ने अप्सराओं का सृजन किया। स्वर्ग की अप्सराओं ने देवदासियों के रूप में जन्म लिया और गंधर्वों ने साजिंदों के रूप में उनका साथ दिया। सदियों से सार्वजनिक महिला कलाकारों को नगरवधू, गणिका, देवदासी आदि नामों से संबोधित किया जाता रहा है। प्राचीन काल से मंदिरों में नृत्य और संगीत पूजा विधि का हिस्सा रहे हैं और उनका निर्वहन देवदासियों ने किया था। उन्होंने अपने में नाट्यशास्त्र की उत्कृष्ट कलाओं को संजोए रखा। कई ग्रंथों में गणिका और वेश्या में भेद बताया गया है। जो भी हो ये स्वच्छंद भाव से जीवन व्यापन करती थीं और उनकी परंपरा मातृवंशीय थी।
चाहे कालिदास की उर्वशी हो या शूद्रक की वसंतसेना, संस्कृत नाटकों में भी अपने सौंदर्य बोध और कला की जादूगरी से सब का मन मोहने वाली गणिकाओं का बहुत उल्लेख मिलता है। उनमें से कई राज दरबारों से जुड़ी थीं। पूर्व और दक्षिण भारत के मंदिरों में उन्नीसवीं सदी तक इस परंपरा को बरकरार रखा गया। रियासतें बदलती गईं मगर मंदिरों में देवदासियों का स्थान ज्यों का त्यों बना रहा। दिल्ली सल्तनत और मुगल काल में आए बदलाव के साथ दरबारों में भी तवायफों का प्रभाव बना रहा। 18वीं सदी में नवाब वाजिद अली शाह के दरबार में कथक नृत्य शैली को नया जीवन मिला। इसका प्रभाव पूरे उत्तर भारत पर होने वाला था।
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शहरनामा - मधेपुरा
बिहार के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित, अपनी ऐतिहासिक धरोहर, सांस्कृतिक वैभव और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध मधेपुरा कोसी नदी के किनारे बसा है, जिसे 'बिहार का शोक' कहा जाता है।
डाल्टनगंज '84
जब कोई ऐतिहासिक घटना समय के साथ महज राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का मुद्दा बनकर रह जाए, तब उसे एक अस्थापित लोकेशन से याद करना उस पर रचे गए विपुल साहित्य में एक अहम योगदान की गुंजाइश बनाता है।
गांधी के आईने में आज
फिल्म लगे रहो मुन्ना भाई के दो पात्र मुन्ना और गांधी का प्रेत चित्रपट से कृष्ण कुमार की नई पुस्तक थैंक यू, गांधी से अकादमिक विमर्श में जगह बना रहे हैं। आजाद भारत के शिक्षा विमर्श में शिक्षा शास्त्री कृष्ण कुमार की खास जगह है।
'मुझे ऐसा सिनेमा पसंद है जो सोचने पर मजबूर कर दे'
मूर्धन्य कलाकार मोहन अगाशे की शख्सियत के कई पहलू हैं। एक अभिनेता के बतौर उन्होंने समानांतर सिनेमा के कई प्रतिष्ठित निर्देशकों के साथ काम किया। घासीराम कोतवाल (1972) नाटक में अपनी भूमिका के लिए वे खास तौर से जाने जाते हैं। वे मनोचिकित्सक भी हैं। मानसिक स्वास्थ्य पर उन्होंने कई फिल्में बनाई हैं। वे भारतीय फिल्म और टेलिविजन संस्थान (एफटीआइआइ) के निदेशक भी रह चुके हैं। उनके जीवन और काम के बारे में हाल ही में अरविंद दास ने उनसे बातचीत की। संपादित अंशः
एक शांत, समभाव, संकल्पबद्ध कारोबारी
कारोबारी दायरे के भीतर उन्हें विनम्र और संकोची व्यक्ति के रूप में जाना जाता था, जो धनबल का प्रदर्शन करने में दिलचस्पी नहीं रखता और पशु प्रेमी था
विरासत बन गई कोलकाता की ट्राम
दुनिया की सबसे पुरानी सार्वजनिक परिवहन सेवाओं में एक कोलकाता की ट्राम अब केवल सैलानियों के लिए चला करेगी
पाकिस्तानी गर्दिश
कभी क्रिकेट की बड़ी ताकत के चर्चित टीम की दुर्दशा से वहां खेल के वजूद पर ही संकट
नशे का नया ठिकाना
कीटनाशक के नाम पर नशीली दवा बनाने वाले कारखाने का भंडाफोड़
'करता कोई और है, नाम किसी और का लगता है'
मुंबई पर 2011 में हुए हमले के बाद पकड़े गए अजमल कसाब के खिलाफ सरकारी वकील रहे उज्ज्वल निकम 1993 के मुंबई बम धमाकों, गुलशन कुमार हत्याकांड और प्रमोद महाजन की हत्या जैसे हाइ-प्रोफाइल मामलों से जुड़े रहे हैं। कसाब के केस में बिरयानी पर दिए अपने एक विवादास्पद बयान से वे राष्ट्रीय सुर्खियों में आए थे। उन्होंने 2024 में भाजपा के टिकट पर उत्तर-मध्य मुंबई से लोकसभा चुनाव लड़ा और हार गए। लॉरेंस बिश्नोई के उदय और मुंबई के अंडरवर्ल्ड पर आउटलुक के लिए राजीव नयन चतुर्वेदी ने उनसे बातचीत की। संपादित अंश:
मायानगरी की सियासत में जरायम के नए चेहरे
मायापुरी में अपराध भी फिल्मी अंदाज में होते हैं, बस एक हत्या, और बी दशकों की कई जुर्म कथाओं पर चर्चा का बाजार गरम