नए-नवेले, खासकर ओटीटी के सितारों की चर्चा कई वजहों से अहम और दिलचस्प है ! वमिका गब्बी, जितेंद्र कुमार, रसिका दुग्गल, दुर्गेश कुमार, अशोक पाठक, दिव्येंदु, ये कुछ ऐसे नाम हैं जिनके अभिनय करिअर को एक जबरदस्त मोड़ दिया वेब सीरीज की सफलता ने! कुछ वक्त पहले एक इंटरव्यू में अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने कहा था कि ओटीटी पुराने और असफल सितारों का आश्रय बनता जा रहा है, लेकिन शायद अब उन्हें भी इस बात न का एहसास होगा कि ओटीटी को संकुचित नजर से देखना मुमकिन नहीं है। ये वैश्विक प्लेटफॉर्म अदाकारी, कहानियों और ऑडियंस से रिश्ते के लिहाज से अहम है और मनोरंजन उद्योग को नई दिशाएं देने की ताकत रखता है। बात कलाकारों के करियर को नई जिंदगी मिलने की हो या फिर कस्बों से निकले अभिनेता/अभिनेत्रियों को नया सितारा मानने की, यह इस बात का संकेत है कि दर्शकों में उन्हें देखने की चाहत है जबकि सिनेमा की अर्थव्यवस्था का स्टार आधारित ढांचा उन्हें न बिकने वाले सामान की तरह कतार में पीछे धकेल कर जोखिम से बचने में ही अपनी बेहतरी मानता है।
डिजिटल एंटरटेनमेंट के मंच सिर्फ भुला दिए गए कलाकारों का नया सहारा नहीं बन रहे हैं, बल्कि इनकी वजह से स्टार और स्टारडम की परिभाषा में नए आयाम भी जुड़ रहे हैं। स्टारडम अपने आप में एक बहुआयामी सामाजिक-आर्थिक अवधारणा है जिसमें कलाकारी, शोहरत, रणनीति, पैसा, मुनाफा, श्रम, सम्मोहन, प्रेम और प्रभुत्व जैसे तमाम पहलू समाए हुए हैं। इसका मतलब यह है कि मनोरंजन जगत और उसके बाहर भी- जैसे खेलों की दुनिया में- सितारे बनने-बनाने की प्रक्रिया सांस्कृतिक-राजनीतिक है। इसमें दर्शक, मीडिया और तकनीक की अहम भूमिका होती है।
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शहरनामा - मधेपुरा
बिहार के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित, अपनी ऐतिहासिक धरोहर, सांस्कृतिक वैभव और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध मधेपुरा कोसी नदी के किनारे बसा है, जिसे 'बिहार का शोक' कहा जाता है।
डाल्टनगंज '84
जब कोई ऐतिहासिक घटना समय के साथ महज राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का मुद्दा बनकर रह जाए, तब उसे एक अस्थापित लोकेशन से याद करना उस पर रचे गए विपुल साहित्य में एक अहम योगदान की गुंजाइश बनाता है।
गांधी के आईने में आज
फिल्म लगे रहो मुन्ना भाई के दो पात्र मुन्ना और गांधी का प्रेत चित्रपट से कृष्ण कुमार की नई पुस्तक थैंक यू, गांधी से अकादमिक विमर्श में जगह बना रहे हैं। आजाद भारत के शिक्षा विमर्श में शिक्षा शास्त्री कृष्ण कुमार की खास जगह है।
'मुझे ऐसा सिनेमा पसंद है जो सोचने पर मजबूर कर दे'
मूर्धन्य कलाकार मोहन अगाशे की शख्सियत के कई पहलू हैं। एक अभिनेता के बतौर उन्होंने समानांतर सिनेमा के कई प्रतिष्ठित निर्देशकों के साथ काम किया। घासीराम कोतवाल (1972) नाटक में अपनी भूमिका के लिए वे खास तौर से जाने जाते हैं। वे मनोचिकित्सक भी हैं। मानसिक स्वास्थ्य पर उन्होंने कई फिल्में बनाई हैं। वे भारतीय फिल्म और टेलिविजन संस्थान (एफटीआइआइ) के निदेशक भी रह चुके हैं। उनके जीवन और काम के बारे में हाल ही में अरविंद दास ने उनसे बातचीत की। संपादित अंशः
एक शांत, समभाव, संकल्पबद्ध कारोबारी
कारोबारी दायरे के भीतर उन्हें विनम्र और संकोची व्यक्ति के रूप में जाना जाता था, जो धनबल का प्रदर्शन करने में दिलचस्पी नहीं रखता और पशु प्रेमी था
विरासत बन गई कोलकाता की ट्राम
दुनिया की सबसे पुरानी सार्वजनिक परिवहन सेवाओं में एक कोलकाता की ट्राम अब केवल सैलानियों के लिए चला करेगी
पाकिस्तानी गर्दिश
कभी क्रिकेट की बड़ी ताकत के चर्चित टीम की दुर्दशा से वहां खेल के वजूद पर ही संकट
नशे का नया ठिकाना
कीटनाशक के नाम पर नशीली दवा बनाने वाले कारखाने का भंडाफोड़
'करता कोई और है, नाम किसी और का लगता है'
मुंबई पर 2011 में हुए हमले के बाद पकड़े गए अजमल कसाब के खिलाफ सरकारी वकील रहे उज्ज्वल निकम 1993 के मुंबई बम धमाकों, गुलशन कुमार हत्याकांड और प्रमोद महाजन की हत्या जैसे हाइ-प्रोफाइल मामलों से जुड़े रहे हैं। कसाब के केस में बिरयानी पर दिए अपने एक विवादास्पद बयान से वे राष्ट्रीय सुर्खियों में आए थे। उन्होंने 2024 में भाजपा के टिकट पर उत्तर-मध्य मुंबई से लोकसभा चुनाव लड़ा और हार गए। लॉरेंस बिश्नोई के उदय और मुंबई के अंडरवर्ल्ड पर आउटलुक के लिए राजीव नयन चतुर्वेदी ने उनसे बातचीत की। संपादित अंश:
मायानगरी की सियासत में जरायम के नए चेहरे
मायापुरी में अपराध भी फिल्मी अंदाज में होते हैं, बस एक हत्या, और बी दशकों की कई जुर्म कथाओं पर चर्चा का बाजार गरम