हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों के लिए 5 अक्टूबर को हो रहे मतदान के लिए सभी पार्टियों ने उम्मीदवारों के चयन में तमाम जातिगत और श्रेत्रीय समीकरण साधने और जोड़-जुगाड़ की रणनीति अपनाई, फिर भी सियासी फिजा पर खास फर्क नहीं दिखता है, थोड़ा धुंधलका जरूर छा गया है। जाट और गैर-जाट, ओबीसी, दलित जैसे जाति समीकरणों में सभी दल इस कदर उलझे हैं कि 90 में से 38 सीटों पर एक ही जाति के उम्मीदवार एक-दूसरे के सामने डटे हैं। परिवार के सदस्यों को भी पार्टियों ने भिड़ा दिया है। सत्तारूढ़ भाजपा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के चेहरे को केंद्र में रखकर जाट-गैर जाट ध्रुवीकरण की कोशिश में लगी है और उसने सबसे अधिक 22 ओबीसी उम्मीदवार उतारे हैं। कांग्रेस ने भी 20 सीटों पर ओबीसी उतारे हैं। जाट समुदाय के सबसे अधिक 28 उम्मीदवार उतारने वाली कांग्रेस की तुलना में भाजपा 16 जाट चेहरों पर सिमटी है।
दस साल की एंटी-इन्कंबेंसी, आंदोलनकारी किसानों के विरोध प्रदर्शनों और कांग्रेस की कड़ी टक्कर की तोड़ में भाजपा ने ओबीसी कार्ड के अलावा बगैर किसी औपचारिक गठबंधन के सिरसा विधायक गोपाल कांडा की हरियाणा लोकहित पार्टी (हलोपा) और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) से अंदरखाने हाथ मिलाया है। त्रिशंकु विधानसभा की सूरत में यह भाजपा की इन क्षेत्रीय दलों को साधने की कवायद जान पड़ती है। दलित वोटों को साधने के लिए इनेलो और बसपा का पहले से ही गठजोड़ हो चुका है। राजनैतिक हलकों में यह भी चर्चा है कि कई सीटों पर एक नहीं, अलग-अलग समूहों के कई निर्दलीयों को भी शह दी जा रही है। भाजपा यूं तो तीसरी बार सरकार बनाने का दावा कर रही है, लेकिन वह शायद त्रिशंकु नतीजों की हालत में गठबंधन और जोड़-जुगाड़ की खिड़कियां भी खोलने की रणनीति पर चल रही है। आउटलुक से मुख्यमंत्री सैनी कहते हैं, ‘‘त्रिशंकु नतीजे आए तो अनुकूल पार्टियों से हाथ मिलाया जाएगा’’ (देखें इंटरव्यू)।
चर्चाएं तो ये भी हैं कि दलित वोटों में बंटवारे के लिए जननायक जनता पार्टी (जजपा) का आजाद समाज पार्टी के साथ गठजोड़ खास रणनीति का हिस्सा है। 2019 के विधानसभा चुनाव में 40 सीट पर सिमटी भाजपा ने जजपा के साथ गठबंधन में सरकार बनाई थी, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले उसने गठबंधन तोड़ लिया था।
Denne historien er fra October 14, 2024-utgaven av Outlook Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra October 14, 2024-utgaven av Outlook Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
हमेशा गूंजेगी आवाज
लोककला के एक मजबूत स्तंभ का अवसान, अपनी आवाज में जिंदा रहेंगी शारदा
क्या है अमिताभ फिनामिना
एक फ्रांसिसी फिल्मकार की डॉक्यूमेंट्री बच्चन की सितारा बनने के सफर और उनके प्रति दीवानगी का खोलती है राज
'एक टीस-सी है, नया रोल इसलिए'
भारतीय महिला हॉकी की स्टार रानी रामपाल की 28 नंबर की जर्सी को हॉकी इंडिया ने सम्मान के तौर पर रिटायर कर दिया। अब वे गुरु की टोपी पहनने को तैयार हैं। 16 साल तक मैदान पर भारतीय हॉकी के उतार-चढ़ाव को करीब से देखने वाली 'हॉकी की रानी' अपने संन्यास की घोषणा के बाद अगली चुनौती को लेकर उत्सुक हैं।
सस्ती जान पर भारी पराली
पराली पर कसे फंदे, खाद न मिलने और लागत बेहिसाब बढ़ने से हरियाणा-पंजाब में किसान अपनी जान लेने पर मजबूर, हुक्मरान बेफिक्र, दोबारा दिल्ली कूच की तैयारी
विशेष दर्जे की आवाज
विधानसभा के पहले सत्र में विशेष दर्जे की बहाली का प्रस्ताव पास कर एनसी का वादा निभाने का दावा, मगर पीडीपी ने आधा-अधूरा बताया
महान बनाने की कीमत
नाल्ड ट्रम्प की जीत लोगों के अनिश्चय और राजनीतिक पहचान के आपस में नत्थी हो जाने का नतीजा
पश्चिम एशिया में क्या करेंगे ट्रम्प ?
ट्रम्प की जीत से नेतन्याहू को थोड़ी राहत मिली होगी, लेकिन फलस्तीन पर दोनों की योजनाएं अस्पष्ट
स्त्री-सम्मान पर उठे गहरे सवाल
ट्रम्प के चुनाव ने महिला अधिकारों पर पश्चिम की दावेदारी का खोखलापन उजागर कर दिया
जलवायु नीतियों का भविष्य
राष्ट्रपति के चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प की जीत रिपब्लिकन पार्टी के समर्थकों के लिए जश्न का कारण हो सकती है लेकिन पर्यावरण पर काम करने वाले लोग इससे चिंतित हैं।
दोस्ती बनी रहे, धंधा भी
ट्रम्प अपने विदेश, रक्षा, वाणिज्य, न्याय, सुरक्षा का जिम्मा किसे सौंपते हैं, भारत के लिए यह अहम