होइ गवा बाजारु हल्ला

हनी सिंह का नया अलबम आया है, मैनिएक। एलबम के एक गाने में रागिनी विश्वकर्मा की आवाज में भोजपुरी में एक पंक्ति है, 'दीदी का देवर, हमारी चोली का... चखना चाहता है।' इससे पहले भोजपुरी में इस तरह से सीधे और भदेस शब्दों में अश्लीलता शायद ही दाखिल हुई थी। अब तक जो भी था, वह द्विअर्थी था। एलबम आने के बाद जैसा कि होता है, रस्म अदायगी के लिए भोजपुरी भाषियों ने सोशल मीडिया में नाराजगी जताई। लेकिन जैसा कि हर बार होता है, इस बार भी कुछ नहीं हुआ और मुद्दा आया गया हो गया। लेकिन वहीं दूसरा वर्ग इस बात से खुश था कि यह भोजपुरी की तरक्की है। देखो, हमारी भाषा कहां से कहां तक पहुंच गई है। गर्व इस बात का था कि हनी सिंह को भी भोजपुरी की जरूरत है ! यह गर्व की बारिश सिर्फ भोजपुरी तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि उसकी कुछ बूंदे रागिनी विश्वकर्मा पर भी गिरीं कि उनके भाग जाग गए हैं और हनी सिंह के साथ गाने से अब उनके सामने संभावनाओं के अनंत द्वार खुल जाएंगे।
हनी सिंह से पहले प्रियंका चोपड़ा भोजपुरी पर अपनी नजरें इनायत कर चुकी हैं। उन्होंने बम-बम बोल रहा काशी (2016) नाम की फिल्म में एक गीत था, बोलेरो के चाभी से खोद देला नाभी । तब भी दो-चार दिनों तक विरोध का ऐसा ही खेल चला था। विरोध करने वालों का तर्क था कि प्रियंका चोपड़ा को अपनी फिल्म में ऐसे गाने को नहीं रखना चाहिए था। तब भी कुछ लोगों का यही तर्क था कि यह भोजपुरी की बढ़ती ताकत है।
Denne historien er fra March 31, 2025-utgaven av Outlook Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9500+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra March 31, 2025-utgaven av Outlook Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9500+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på

विरासत भारी, कंधे नए
गिल को कप्तानी ही नहीं संभालनी, बल्कि दो दिग्गजों की विरासत को भी संभालना है, उसी में उनकी असली परीक्षा होगी

माओवाद की जड़ पर चोट
माओवादी रणनीतिकार तथा शीर्ष नेता बसवराजू की हाल में केंद्रीय बलों के साथ मुठभेड़ में मौत वामपंथी उग्रवाद से निपटने में अहम

आजादी की राजनीति
आजकल समाजवादी राजनीति कुछ अलग ही ढंग से चर्चा में है। उस पर भीषण हमला सिर्फ बाजारवाद, नव-चढ़ पूंजीवाद, निजीकरण, सांप्रदायिक सियासत के मिलिटेंट पैरोकार ही नहीं कर रहे हैं, बल्कि वे भी कर रहे हैं, जिनकी सियासी जगह छिनती जा रही है और वजूद बचाने को वे हाथ-पैर मार रहे हैं।

फिर ग्रे लिस्ट की कोशिश?
पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में वापस डालने के लिए भारत ने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल 33 देशों में भेजा

फिर पैर पसारती दहशत
कोरोना वायरस की फिर दस्तक ने लोगों को फिर फिक्रमंद किया, स्वास्थ्य सेवाओं का चरमराता ढांचा भी चिंता का विषय, सावधानी ही फिलहाल बड़ी सुरक्षा

शहरनामा
सतना

कौन करेगा धरती की चिंता
क्या एक दशक पहले तक किसी ने ऐसा सोचा था कि हमारे देश की धरती पानी के लिए तरस जाएगी?

एक ढीठ तो दूसरा दबंग
भारत को पाकिस्तान और चीन के लिए लंबी रणनीति तैयार करनी होगी, घरेलू राजनैतिक मजबूरियों से ऊपर उठकर राष्ट्रीय एकता बनानी होगी

ट्रम्प की कड़वी दवा
दवा कीमतों में 80 फीसदी तक कटौती के प्रस्ताव पर अनिश्चितता से भारतीय फार्मा कंपनियों में बेचैनी

नाजुक त्रिकोण की लहरें
सीमा पर चीन के साथ तनाव जारी और उसकी रणनीतिक पहल से म्यांमार और बांग्लादेश सहित दक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया और पूर्वी एशिया के त्रिकोण की राजनैतिक अनिश्चितता से सीमा पर चुनौतियां बढ़ीं