हर साल 1 नवंबर को दुनियाभर में शाकाहारी जीवन जीने का जश्न विश्व शाकाहारी दिवस (वर्ल्ड वेगन डे) के रूप में मनाया जाता है. पर्यावरण को बचाने के लिए इस दिन इस के प्रति जागरूकता फैलाई जाती है. साथ ही लोगों की शाकाहारी खाने के प्रति रुचि को बढ़ाना भी इस दिन को मनाने का प्रमुख उद्देश्य है.
यूके वेगन सोसाइटी ने पहली बार 1 नवंबर, 1994 को विश्व शाकाहारी दिवस यानी वर्ल्ड वेगन डे मनाया था. वेगन ( शाकाहारी ) शब्द डोनाल्ड वाटसन द्वारा दिया गया, जिसे वैजिटेरियन शब्द से लिया गया है.
वर्ष 1944 में ही वेगन सोसाइटी बनाई गई थी. शाकाहारी दिवस की 50वीं वर्षगांठ पर वेगन सोसाइटी के अध्यक्ष ने इसे यादगार बनाने व आम लोगों में शाकाहारी आहार को बढ़ावा देने के लिए वेगन दिवस को हर साल मनाने की घोषणा की. इस के पीछे एक और कारण भी बताया जाता है कि उस समय वेगस को डेयरी उत्पादों का उपभोग करने की अनुमति नहीं थी, इस बात का उन्होंने विरोध किया और विरोध में अंडे का सेवन बंद कर दिया और फिर 1951 में यह एक शाकाहारी आंदोलन बन गया. तब से हर साल 1 नवंबर को पूरी दुनिया में शाकाहार दिवस को एक अभियान व जागरूकता के तौर पर मनाया जाता है.
शाकाहारी होने का अर्थ पर्यावरण को बचाने व लोगों को इस के प्रति जागरूक करने से लिया जाता है. यह शाकाहारी जीवन की खासीयत, बीमारियों से बचाव और पर्यावरण की सुरक्षा की ओर ध्यान खींचता है. मांसाहारी होने से कई तरह की बीमारियां पैदा हो सकती हैं जबकि शाकाहारी लाइफस्टाइल से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को भी ठीक किया जा सकता है.
शाकाहारी बनाम मांसाहारी
हम शाकाहारी बनें या मांसाहारी, इस से पहले यह जान लें कि दोनों में क्या फर्क है?
मुख्य रूप से भोजन के 2 प्रकार होते हैं, शाकाहारी और मांसाहारी इंसान का शरीर दोनों तरह के भोजन को पचाने की क्षमता रखता है. कुछ लोगों का मानना है कि मांसाहारी भोजन में ज्यादा पोषक तत्त्व मिलते हैं. लेकिन आप को बता दें कि मांसाहारी भोजन में जो तत्त्व मांस खाने से मिलता है ठीक वैसे ही शाकाहारी भोजन में शाकसब्जियों में भी मिलता है.
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