आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में मुफ्त बिजलीपानी के बल पर चुनाव जीता. इस के बाद पंजाब चुनाव में जीत मिली. अब गुजरात विधानसभा के चुनाव में आप (आम आदमी पार्टी) अपने मुफ्त बिजलीपानी फामूर्ले पर जनता में पैठ बना रही है. गुजरात में सरकार चला रही भाजपा के लिए यह परेशानी की बात है. इस की काट के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'रेवड़ी कल्चर' का नारा उछाला.
भाजपा की आईटी ट्रोल सेना इस को ले कर झपट पड़ी कि जिस से अरविंद केजरीवाल को घेरा जा सके. केजरीवाल ने भी मोरचा संभाल लिया है. रेवड़ी कल्चर देश की जनता को पसंद है. इस के बल पर कई बार सत्ता बदली है. गुजरात चुनाव में रेवड़ी कल्चर मुद्दा बन गया है. इस का जवाब भाजपा नहीं दे पा रही. पहली बार चौकीदार का सामना थानेदार से पड़ गया है. रेवड़ी कल्चर को 'दो मिनट मैगी' न समझें, देश की राजनीति में इस का प्रभाव हमेशा चुनाव की दशा बदलता रहता है.
16 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा कि मुफ्त का रेवड़ी कल्चर देश के लिए बहुत घातक है. यह देश के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डालने वाला है. इस से सभी को दूर रहने की आवश्यकता है. प्रधानमंत्री का इशारा चुनाव के समय राजनीतिक दलों की ओर से मतदाताओं को लुभाने के तरहतरह के तरीकों की ओर था.
रेवड़ी कल्चर को ले कर देश की सर्वोच्च न्यायालय के के चीफ जस्टिस एन वी रमन्ना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की बैंच ने कहा था कि नीति आयोग, वित्त आयोग, सत्ताधारी दल और विपक्षी पार्टियों, रिजर्व बैंक औफ इंडिया और अन्य संस्थाओं को भी इस मामले में सुझाव देने चाहिए कि आखिर इस रेवड़ी कल्चर को कैसे रोका जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुफ्त का रेवड़ी कल्चर देश के लिए बहुत घातक है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड- 19 के दौरान 80 करोड़ गरीब लोगों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने का दावा किया. इस को उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों तक बढ़ाया गया ताकि वोट का लाभ मिल सके.
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"पुरुष सत्तात्मक सोच बदलने पर ही बड़ा बदलाव आएगा” बिनायफर कोहली
'एफआईआर', 'भाभीजी घर पर हैं', 'हप्पू की उलटन पलटन' जैसे टौप कौमेडी फैमिली शोज की निर्माता बिनायफर कोहली अपने शोज के माध्यम से महिला सशक्तीकरण का संदेश देने में यकीन रखती हैं. वह अपने शोज की महिला किरदारों को गृहणी की जगह वर्किंग और तेजतर्रार दिखाती हैं, ताकि आज की जनरेशन कनैक्ट हो सके.
पतिपत्नी के रिश्ते में बदसूरत मोड़ क्यों
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ओवरऐक्टिव ब्लैडर और मेनोपौज
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सामाजिक असमानता के लिए धर्म जिम्मेदार है क्योंकि दान और पूजापाठ की व्यवस्था के साथ ही असमानता शुरू हो जाती है जो घर और कार्यस्थल तक बनी रहती है.
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कहीं से कोई पैसा अचानक से मिल जाए या फिर व्यापार में कोई मुनाफा हो तो उन पैसों को घर में खर्चने के बजाय लोन उतारने में खर्च करें, ताकि लोन कुछ कम हो सके और इंट्रैस्ट भी कम देना पड़े.
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