मुश्किल है जुर्म कर बचना
Sarita|October First 2022
आज के तकनीकी समय में ऐसे कई उपकरण ईजाद हो गए हैं जिन से किसी अपराधी अपराधी भागीदारी या मौजूदगी की का पता आसानी से लगाया जा सकता है. ऐसे में अपराध कर बच निकल जाने की भूल बेवकूफी है.
शैलेंद्र सिंह
मुश्किल है जुर्म कर बचना

अमरमणि त्रिपाठी उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री थे. बाहुबलि छवि के इस नेता अम को कविताएं पढ़ने वाली युवा लड़की मधुमिता त्रिपाठी से लगाव हो गया. यह लगाव मोहब्बत में बदल गया. अमरमणि की पत्नी मधुमणि को इस पर एतराज था. परेशानी तब खड़ी हो गई जब मधुमिता गर्भवती हो गई. उस पर अमरमणि और उस की पत्नी मधुमणि की तरफ से गर्भपात कराने के लिए दबाव पड़ने लगा. मधुमिता ने इनकार किया. इस हालत में ही एक दिन मधुमिता की हत्या उस के ही आवास पर कर दी गई. पुलिस को मधुमिताअमरमणि मसले की जानकारी थी. हत्या का आरोप अमरमणि त्रिपाठी व उन की पत्नी मधुमणि पर लगा.

लोकल पुलिस ने घटना को छिपाने का काम किया. अमरमणि का रसूख भारी पड़ रहा था. लोकल पुलिस ने जांच में यह साबित करने का प्रयास किया कि मधुमिता के पेट में पल रहा बच्चा किसी और का था. पुलिस ने मीडिया के कुछ लोगों के साथ मिल कर मधुमिता की शादी किसी लड़के के साथ साबित करने का प्रयास किया. सारी कोशिश अमरमणि त्रिपाठी को बचाने की थी. मधुमिता के परिवार के लोगों ने हार नहीं मानी. मधुमिता हत्याकांड की जांच सीबीआई को देने के लिए अदालत में गुहार लगाई. कोर्ट ने जांच सीबीआई को दे दी.

सीबीआई ने जांच में अमरमणि त्रिपाठी व उन की पत्नी मधुमणि सहित कई अन्य लोगों को घटना का जिम्मेदार माना. सीबीआई के पास सब से मजबूत सुबूत यह था कि मधुमिता के पेट में पल रहे बच्चे के डीएनए का मिलान अमरमणि से किया गया तो वह अमरमणि का बच्चा ही पाया गया. इस सुबूत के आधार पर अमरमणि व उनकी पत्नी मधुमिता को आजीवन उम्रकैद की सजा दे दी गई. दोनों जेल में हैं. अपने अंतिम दिनों की प्रतीक्षा कर रहे हैं.

सामान्य उम्रकैद की सजा 14 साल की होती है. रातदिन मिला कर 7 साल रहती है, जिस का मतलब यह होता है कि कैदी 7 साल के बाद आजाद हो जाता है. अमरमणि और उन की पत्नी मधुमणि को आजीवन उम्रकैद की सजा मिली जिस का अर्थ यह होता है कि उन को अब अपना बचा हुआ जीवन जेल के अंदर ही काटना है. वे जिंदा रहते बाहर नहीं आ सकते. बहुत ही अलग किस्म के अपराध में कोर्ट इस तरह की सजा सुनाती है.

Denne historien er fra October First 2022-utgaven av Sarita.

Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.

Denne historien er fra October First 2022-utgaven av Sarita.

Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.

FLERE HISTORIER FRA SARITASe alt
पुराणों में भी है बैड न्यूज
Sarita

पुराणों में भी है बैड न्यूज

हाल ही में फिल्म 'बैड न्यूज' प्रदर्शित हुई, जो मैडिकल कंडीशन हेटरोपैटरनल सुपरफेकंडेशन पर आधारित थी. इस में एक महिला के एक से अधिक से शारीरिक संबंध दिखाने को हिंदू संस्कृति पर हमला कहते कुछ भगवाधारियों ने फिल्म का विरोध किया पर इस तरह के मामले पौराणिक ग्रंथों में कूटकूट कर भरे हुए हैं.

time-read
5 mins  |
September First 2024
काम के साथ सेहत भी
Sarita

काम के साथ सेहत भी

काम करने के दौरान लोग अकसर अपनी सेहत का ध्यान नहीं रखते, जिस से हैल्थ इश्यूज पैदा हो जाते हैं. जानिए एक्सपर्ट से क्यों है यह खतरनाक?

time-read
5 mins  |
September First 2024
प्यार का बंधन टूटने से बचाना सीखें
Sarita

प्यार का बंधन टूटने से बचाना सीखें

आप ही सोचिए क्या पेरेंट्स बच्चों से न बनने पर उन से रिश्ता तोड़ लेते हैं? नहीं न? बच्चों से वे अपना रिश्ता कायम रखते हैं न, तो फिर वे अपने वैवाहिक रिश्ते को बचाने की कोशिश क्यों नहीं करते? बच्चे मातापिता को डाइवोर्स नहीं दे सकते तो पतिपत्नी एकदूसरे के साथ कैसे नहीं निभा सकते, यह सोचने की जरूरत है.

time-read
3 mins  |
September First 2024
तलाक अदालती फैसले एहसान क्यों हक क्यों नहीं
Sarita

तलाक अदालती फैसले एहसान क्यों हक क्यों नहीं

शादी कर के पछताने वाले हजारोंलाखों लोग मिल जाएंगे, लेकिन तलाक ले कर पछताने वाले न के बराबर मिलेंगे क्योंकि यह एक घुटन भरी व नारकीय जिंदगी से आजादी देता है. लेकिन जब सालोंसाल तलाक के लिए अदालत के चक्कर काटने पड़ें तो दूसरी शादी कर लेने में हिचक क्यों?

time-read
5 mins  |
September First 2024
शिल्पशास्त्र या ज्योतिषशास्त्र?
Sarita

शिल्पशास्त्र या ज्योतिषशास्त्र?

शिल्पशास्त्र में किसी इमारत की उम्र जानने की ऐसी मनगढ़ंत और गलत व्याख्या की गई है कि पढ़ कर कोई भी अपना सिर पीट ले.

time-read
6 mins  |
September First 2024
रेप - राजनीति ज्यादा पीडिता की चिंता कम
Sarita

रेप - राजनीति ज्यादा पीडिता की चिंता कम

देश में रेप के मामले बढ़ रहे हैं. सजा तक कम ही मामले पहुंचते हैं. इन में राजनीति ज्यादा होती है. पीड़िता के साथ कोई नहीं होता.

time-read
8 mins  |
September First 2024
सिध सिरी जोग लिखी कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन
Sarita

सिध सिरी जोग लिखी कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन

धीरेधीरे मैं भी मौजूदा एडवांस दुनिया का हिस्सा बन गई और उस पुरानी दुनिया से इतनी दूर पहुंच गई कि प्रांशु को लिखवाते समय कितने ही वाक्य बारबार लिखनेमिटाने पड़े पर फिर भी वैसा...

time-read
8 mins  |
September First 2024
चुनाव परिणाम के बाद इंडिया ब्लौक
Sarita

चुनाव परिणाम के बाद इंडिया ब्लौक

16 मई, 2024 को चुनावप्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में दहाड़ने की कोशिश करते हुए कहा था कि 4 जून को इंडी गठबंधन टूट कर बिखर जाएगा और विपक्ष बलि का बकरा खोजेगा, चुनाव के बाद ये लोग गरमी की छुट्टियों पर विदेश चले जाएंगे, यहां सिर्फ हम और देशवासी रह जाएंगे. लेकिन 4 जून के बाद कुछ और हो रहा है.

time-read
8 mins  |
September First 2024
वक्फ की जमीन पर सरकार की नजर
Sarita

वक्फ की जमीन पर सरकार की नजर

भाजपा की आंखें वक्फ की संपत्तियों पर गड़ी हैं. इस मामले को उछाल कर जहां वह एक तरफ हिंदू वोटरों को यह दिखाने की कोशिश करेगी कि देखो मुसलमानों के पास देश की कितनी जमीन है, वहीं वक्फ बोर्ड में घुसपैठ कर के वह उसे अपने नियंत्रण में लेने की फिराक में है.

time-read
10+ mins  |
September First 2024
1947 के बाद कानूनों से रेंगतीं सामाजिक बदलाव की हवाएं
Sarita

1947 के बाद कानूनों से रेंगतीं सामाजिक बदलाव की हवाएं

15 अगस्त, 1947 को भारत को जो आजादी मिली वह सिर्फ गोरे अंगरेजों के शासन से थी. असल में आम लोगों, खासतौर पर दलितों व ऊंची जातियों की औरतों, को जो स्वतंत्रता मिली जिस के कारण सैकड़ों समाज सुधार हुए वह उस संविधान और उस के अंतर्गत 70 वर्षों में बने कानूनों से मिली जिन का जिक्र कम होता है जबकि वे हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं. नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी का सपना इस आजादी का नहीं, बल्कि देश को पौराणिक हिंदू राष्ट्र बनाने का रहा है. लेखों की श्रृंखला में स्पष्ट किया जाएगा कि कैसे इन कानूनों ने कट्टर समाज पर प्रहार किया हालांकि ये समाज सुधार अब धीमे हो गए हैं या कहिए कि रुक से गए हैं.

time-read
10+ mins  |
September First 2024