चंदन छाबड़ा के दोस्त उस की किसी बात को सीरियसली नहीं लेते हैं. उस के मुंह पर ही बोल देते हैं कि 'यार, तू तो अपनी जबान बंद ही रख.' दूसरों से भी कहते हैं, 'छाबड़ा ने बताया है तो झूठ होगा. वह कभी सच तो बोलता ही नहीं है.'
चंदन छाबड़ा अपने परिवार और पड़ोस से ले कर औफिस तक में 'लायर' के नाम से जाना जाता है. जो लोग उस को नहीं जानते हैं वे शुरू में उस की बात पर विश्वास कर बैठते हैं क्योंकि झूठ वह बड़े सलीके से बोलता है. जहां जरूरत नहीं, वहां भी झूठ. झूठ जैसे उस के खून में घुला हुआ है. बड़ीबड़ी बातें हांकता है. बड़ेबड़े लोगों से अपनी जानपहचान बताता है.
रेवती भी उस के इसी झूठ के जाल में फंस गई और उस के मातापिता ने भी चंदन छाबड़ा की जलेबी जैसी बातों में उलझ कर बेटी की शादी आननफानन उस से कर दी. शादी के बाद रेवती को पता चला कि वह एक निहायत ही झूठे आदमी के प्रेम में फंस चुकी है. शादी के 2 महीने बाद रेवती के हाथ चंदन का आईकार्ड लग गया, जिस से उसे पता चला कि वह ऑफिस में महज एक कंप्यूटर ऑपरेटर है, न कि कोई अधिकारी.
उस की तनख्वाह भी 80 हजार रुपए महीना नहीं, मात्र 15 हजार रुपए है. वह कोई डबल एमए नहीं. बस, 12वीं पास है. उस के घर में कोई दोदो नौकर नहीं हैं बल्कि घर का सारा काम उस की मां संभालती आई है. घर के आगे खड़ी रहने वाली कार चंदन के दोस्त की है जिस को पार्किंग की प्रॉब्लम है तो उस को चंदन ने अपने घर के सामने की जगह दी हुई है और बदले में उस से हर महीने 400 रुपए लेता है. कार की चाबी चंदन के पास ही रहती है ताकि जरूरत पड़ने पर गाड़ी आगेपीछे की जा सके. दोस्तीयारी में वह कभीकभी दोस्त की गाड़ी चला लेता है.
रेवती को इंप्रैस करने में इस गाड़ी की बड़ी भूमिका रही शादी से पहले वह कई बार उस के साथ इसी गाड़ी में घूमी. इस गाड़ी में बैठ कर उस ने चंदन के अमीर रिश्तेदारों के किस्से सुने. औफिस में होने वाली हाई लैवल मीटिंग में वह कितना बिजी रहता है, कैसे बड़ेबड़े क्लाइंट्स से डील करता है, ऐसी तमाम कहानियां सुन कर रेवती के कोमल मन में होने वाले पति के लिए सम्मान और प्रेम ऐसा बढ़ा कि चंदन के बारे में कोई छानबीन न तो उस ने की और न उस के परिवार ने.
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