अकसर आप देखते हैं कि परिवार के बड़ेबुजुर्ग उम्र के अंतिम पड़ाव पर पहुंचते ही कुछ ज्यादा चिड़चिड़े हो जाते हैं, वे एक ही बात को बारबार पूछते हैं. आप को लगता है कि अभी तो इन्हें इस बाबत बताया था और अब फिर टोकना शुरू कर दिया. उन के बारबार पूछनेटोकने पर आप को लगता है। कि वे झूठ बोल रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. यह उन की आदत नहीं बल्कि उन की कमजोरी होती है. इसे अल्जाइमर कहते हैं.
अल्जाइमर की तरह ही वैस्कुलर डिमँशिया में भी बुर्जुग की यही स्थिति होती है. 60 साल के बाद इन दोनों दोषों का असर दिखने लगता है. 80 साल के बाद बुजुर्गों पर इन का असर कुछ ज्यादा ही हो जाता है. सो, उन के बारबार पूछने की स्थिति में आप को झुंझलाने की जरूरत नहीं है बल्कि उन्हें आहिस्ता आहिस्ता समझाने व उन पर देखरेख बढ़ाने की जरूरत है.
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निशानेबाजी की 'द्रोणाचार्य' सुमा शिरूर
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