'टीचर चर ने मुझे कैंची से मारा, मेरे बाल खींचे, फिर मुझे स्कूल की पहली मंजिल से फेंक दिया. मैं ने कुछ भी गलत नहीं किया था.' बीती 17 दिसंबर को दिल्ली के हिंदूराव अस्पताल में इलाज के लिए भरती इस पीड़िता के पहले टीचर गीता देशवाल कई मासूमों के साथ इसी तरह की हिंसा कर चुकी थी. लेकिन उस के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई थी. वाकेआ दिल्ली के सदर बाजार के मौडल बस्ती स्थित प्राइमरी स्कूल का है जहां पढ़ रहे कई बच्चों के पेरैंट्स ने बताया कि उक्त टीचर आएदिन बच्चों की बेरहमी से मारकुटाई करती रहती है लेकिन उस के खिलाफ कई शिकायतों के बाद भी कोई ऐक्शन नहीं लिया गया.
चूंकि इस बार एक मासूम की जान पर बन आई थी, इसलिए मध्य दिल्ली की डीसीपी श्वेता चौहान भागीभागी स्कूल पहुंची और उक्त शिक्षिका के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू करने की रस्म निभा दी. स्कूल सरकारी है जिस में अधिकतर गरीबगुरबों और छोटी जाति वालों के बच्चे पढ़ते हैं.
यह सोचना फुजूल की बात है कि इस क्रूर और हैवान शिक्षिका का कुछ बिगड़ेगा जिसे तगड़ी पगार इन एकलव्यों को अर्जुन बनने से रोकने के एवज में दी जाती है. इस के बाद भी लाखदोलाख में एकाध बच्चा अपनी प्रतिभा व मेहनत के दम पर पढ़लिख कर कुछ बन जाए तो आसमान सिर पर उठा लिया जाता है कि देखो, रिकशे वाले का बच्चा बड़ा अफसर बन गया जिस का सीधा सा मतलब यह है कि पढ़ाईलिखाई और गुणवत्ता के मामले में सरकारी स्कूल उन्नीस नहीं हैं, वे महंगे और भव्य प्राइवेट स्कूलों को टक्कर देते हैं. खोट हमारे सिस्टम और नजरिए में है जो सरकारी स्कूलों और उन के माहौल को बदनाम किया जाता है.
ऐसी ही एक और नेकनामी का एक मामला हिमाचल प्रदेश के ऊना से आया था, जहां प्रिंसिपल साहब ने बीती 1 दिसंबर को 2 छात्रों की बेरहमी से पिटाई की थी जिन में से एक को तो मरणासन्न हालत में अस्पताल में भरती कराना पड़ा था. मामला इतना भर था कि स्कूल के बाथरूम के नल तोड़ने का शक प्रिंसिपल को इन छात्रों पर था, लिहाजा, महज शक की बिना पर उन्होंने छात्रों की हड्डीपसली तोड़ दी.
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