खुशी के पर्यायवाची शब्द हैं - आनंद, विनोद, सुखचैन, प्रसन्नता, आमोद, उल्लास, प्रमोद, हर्ष आदि. क्या खुशी नापने की कोई मशीन है, कोई इंचीटेप या पैमाना है? आप का उत्तर हां या न हो सकता है लेकिन संयुक्त राष्ट्र संघ निर्देशित खुशी सूचकांक में भारत निचले पायदान पर है. यह खबर भले ही आप को अंदर से अच्छी न लगे.
यह भी कड़वा सच है कि दानेदाने के लिए दंगे करने वाले, आटेदाल के लिए संघर्ष करने वाले हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान की आवाम की खुशी हम से बेहतर है. खुशी के मामले में पाकिस्तान की रैंकिंग हम से बेहतर है. एक ओर पाकिस्तान की जहां विश्व में 108वीं रैंकिंग है वहीं बंगलादेश की 118वीं, म्यांमार की 117वीं रैंकिंग है तथा नेपाल की 78वीं रैंकिंग है. यानी इन सब से भी खुशी के मामले में हम गैरगुजरे हैं और हमारी रैंकिंग पूरे विश्व में 126वीं है.
आशय है कि विश्व बिरादरी में हम से 125 देश अधिक खुश हैं. कार्यसंतुष्टि उन में अधिक है. हिंदुस्तान से अपेक्षाकृत कम खुश देश केवल गिनती के 11 हैं. यह बेहद जिम्मेदार संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट बताती है.
दार्शनिक और विचारक यह कहते हैं कि 'खुशी एक भावना है, जो आप के अंतर्मन को संतुष्टि दे.' खुशी का बंगला, गाड़ी, बैंक बैलेंस से कोई सीधा संबंध नहीं है. खुशहाली खुशी नहीं लाती है, खुशी तो संतुष्टि से ही मिलती है. किंतु आज खुशी एक प्रोडक्ट है जो पैसा दे कर लोग खरीद रहे हैं और खुश हो रहे हैं. स्टैंडअप कौमेडियनों (हास्य, व्यंग्य कलाकारों) में लोग खुशी तलाशते हैं. 124 लाख करोड़ का आज 'खुशी उद्योग' है.
खुशी की उम्मीद में लोग बाबा, मौलवी, पादरी का रुख भी करने लगते हैं. अब व्यक्तिगत भिन्नता के कारण खुशियां भी अलगअलग हो सकती हैं. किसी के लिए धन वैभव तो किसी के लिए अच्छा शारीरिक स्वास्थ्य खुशी हो सकता है. नवीनतम वर्ल्ड हैप्पीनैस रिपोर्ट के अनुसार, यह स्पष्ट है कि खुश रहना विश्वव्यापी प्राथमिकता बन गई है.
वर्ल्ड हैप्पीनैस रिपोर्ट 6 संकेतकों पर खुशी का मूल्यांकन करती है: सकारात्मक भावनाएं, मानसिक स्वास्थ्य, जीवन प्रत्याशा, सामाजिक संबंध, शारीरिक स्वास्थ्य और पेशेवर खुशी.
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