इजराइल से सबक
Sarita|May Second 2023
इजराइल में लोकतंत्र को बचाने के लिए शुरू हुए जनआंदोलन ने पूरी दुनिया में तानाशाही रवैयों के खिलाफ एक चमक पैदा की है. इस से दुनिया के जनवादी लोगों को सबक मिला है.
मदन कोथुनियां
इजराइल से सबक

दुनिया के कई देशों में शासकों ने अपनी मनमरजी लोगों पर थोपी है. धर्म या नस्ल के गौरव, रूढ़िवादी विचारों या राष्ट्रवाद के नाम पर कई ऐसे कानून बनाए हैं जिन से जनता के अधिकारों का हनन होता है या अदालतों की शक्तियां कम होती हैं.

ये अतिवादी फैसले दुनिया को तबाह कर सकते थे लेकिन दुनिया अब तक इसलिए ही बची हुई है क्योंकि लोग समयसमय पर इन अविचारित फैसलों व निरंकुशता के खिलाफ खड़े होने की हिम्मत दिखाते रहे हैं. पिछले कुछ समय में ईरान, ब्राजील, फ्रांस से ले कर अभी इजराइल तक में दुनिया ने जनता की ताकत को देखा है.

गौरतलब है कि कोई भी देश सच्चे अर्थों में तभी लोकतांत्रिक रह सकता है जब वहां सत्ता पर अंकुश लगाने की व्यवस्था हो. इस व्यवस्था को स्वतंत्र न्यायपालिका, मजबूत विपक्ष और जनतांत्रिक अधिकारों से ही बनाया जा सकता है. इन में से कोई भी पक्ष कमजोर हो तो लोकतंत्र पर आंच आने लगती है व सत्ता के निरंकुश होने का खतरा बढ़ने लगता है.

इजराइल में नेतन्याहू ने इसी तरह निरंकुश होने का रास्ता बनाने की तैयारी की थी लेकिन जनता, विपक्ष और सत्ता के साथ खड़े कुछ लोगों ने ही मिल कर इस रास्ते को बनने से रोक दिया क्योंकि वे इस के बाद भविष्य के खतरों को भांप रहे हैं.

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