प्रीति 25 साल की है. उस के 2 बच्चे मंशा और अंशु हैं. जब वह 18 साल की थी तब उस के पिता ने उस की शादी मनोज नाम के एक मैकेनिक से कर दी. उन्होंने शादी में अपनी क्षमता के अनुसार दहेज दिया. बेटी के ससुराल वालों की खुशी के लिए उन्होंने दूल्हे को 50 हजार रुपए कैश भी दिए.
प्रीति इतनी जल्दी शादी नहीं करना चाहती थी. वह आगे पढ़ना चाहती थी लेकिन उस के पिता का कहना था, 'अगर तेरी पढ़ाई में सारा पैसा खर्च कर दिया तो तेरे दहेज में देंगे क्या, बिना दहेज के भला कौन "तुझ से शादी करेगा?"
ऐसा सोच कर उन्होंने प्रीति को आगे नहीं पढ़ाया. प्रीति का पति जबतब शराब के नशे में आएदिन उसे मारता है. वह कहती है, 'अगर मेरे पिता ने मुझे पढ़ाया होता तो आज वह कोई न कोई जौब कर के अपना और अपने बच्चों का पेट पाल रही होती. हर पिता को अपनी बेटी को जरूर पढ़ाना चाहिए, ऐसा कर के वे उस का फ्यूचर सिक्योर करने में अपना योगदान दे सकते हैं.'
किराना शौप चलाने वाले धनंजय कुमार कहते हैं, “बेटियों को पढ़ाना भी उतना ही जरूरी है जितना बेटों को आज की लड़की हर वह काम कर सकती है जो लड़का करता है, वह किसी भी मामले में लड़के से कम नहीं है."
वे आगे कहते हैं, “जो लोग अपनी लड़कियों को पढ़ाते नहीं हैं वे उन का हक मार रहे हैं." वे बताते हैं उन की बेटी कीर्ति पायलट है. अगर वह उसे पढ़ाई न करा कर उस के दहेज के लिए पैसा इकट्ठा करते रहते तो आज वह पायलट न होती.
बात की जाए हमारे देश में दहेज पर कुल कितना खर्चा किया जाता है तो इस के लिए औसत शादी पर होने वाले खर्च को जानना होगा. एक मिडिल क्लास शहरी शादी की बात की जाए तो इस में 12 लाख से 30 लाख रुपए खर्च हो जाते हैं जबकि एक लो बजट वाली शादी में भी खर्चा 3 से 6 लाख तक चला ही जाता है..
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