![सिद्ध सीरीज के अधिकार सिद्ध सीरीज के अधिकार](https://cdn.magzter.com/1338812051/1698905623/articles/0fiVCkoK11699437476280/1699437699337.jpg)
बाल गंगाधर तिलक की गर्जना थी कि, 'स्वतंत्रता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं इसे ले कर रहूंगा.' महाराणा प्रताप ने कहा था, 'गुलामी की हलवापूरी से स्वतंत्रता की घास बेहतर है.' हमारे संविधान ने हमें कुछ मूलभूत अधिकार दिए हैं- समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार आदि.
सरकारी नौकर नौकर नहीं, 'साहब' या 'बाबू साहब' हो जाता है, मतलब कि उस के पर निकल आते हैं. उस के कुछ 'नौकरी सिद्ध अधिकार' पैदा हो जाते हैं, जैसे कि कार्यालय देर से आने परंतु जल्दी छोड़ देने का अधिकार, काम करने के स्थान पर मक्कारी करने का अधिकार, चाय, समोसे, आलूबड़े हेतु कई बार अपनी सीट छोड़ देने का अधिकार आदि.
कुछ लोग भ्रष्टाचार को भी एक अधिकार मान लेते हैं और बिना इस के कोई काम करना हेठी मानते हैं. सरकारी पद पर कब्जा हो जाने के बाद आदमी इतना गिर जाता है कि हर मामले में ऊपर का स्कोप देख कर काम करता है. ऐन काम के मौके पर गायब हो जाने का सिद्ध अधिकार होता है. हां, कर्मचारियों को एक और अधिकार होता है- हड़ताल का, भले ही काम ढेले भर का न हो लेकिन हड़ताल का काम वे कभी भी कर सकते हैं.
पहले ही दिन से काम का नहीं लेकिन हड़ताल का काम वे कभी भी कर सकते हैं. पहले ही दिन से काम का नहीं, हड़ताल का जन्मसिद्ध अधिकार हो जाता है. इस के बिना तो सूनासूना सा लगता है. वैसे वे हड़ताल कर के माहौल की नीरसता को दूर करने का एक जरूरी काम करते हैं.
मूलभूत अधिकार और नौकरीसिद्ध अधिकारों के अलावा कई अन्य जमातों के भी सिद्ध अधिकार होते हैं जो कि उन्हें जन्म से या कि पेशेगत अर्जित हो जाते हैं. जैसे, दूध वाले को दूध में पानी मिलाने का जन्मसिद्ध अधिकार होता है. दूध का कितना अधिक रेट आप देने को तैयार हों या दे रहे हों, उस के पानी मिलाने के रेट में कोई कमी नहीं आने की है.
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![मौन का मूलमंत्र जिंदगी को बनाए आसान मौन का मूलमंत्र जिंदगी को बनाए आसान](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/LowUfbRDd1739346630309/1739346915320.jpg)
मौन का मूलमंत्र जिंदगी को बनाए आसान
हम बचपन में बोलना तो सीख लेते हैं मगर क्या बोलना है और कितना बोलना है, यह सीखने के लिए पूरी उम्र भी कम पड़ जाती है. मौन रहना आज के दौर में ध्यान केंद्रित करने की तरह ही है.
![सरकार थोप रही मोबाइल सरकार थोप रही मोबाइल](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/PC285IuYk1739280195789/1739280474981.jpg)
सरकार थोप रही मोबाइल
सरकार द्वारा कई स्कीमों को चलाया जा रहा है. बिना एडवांस मोबाइल फोन और इंटरनैट सेवा की इन स्कीमों का फायदा उठाना असंभव है. ऐसा अनावश्यक जोर क्या सही है?
![सास बदली लेकिन नजरिया नहीं सास बदली लेकिन नजरिया नहीं](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/pg03lBb3y1739281192590/1739281417705.jpg)
सास बदली लेकिन नजरिया नहीं
सास और और बहू को एकदूसरे की भूमिका को स्वीकार करना चाहिए. सास पुरानी परंपराओं का पालन करते हुए बहू को सिखा सकती है और बहू नई सोच व नए दृष्टिकोण से घर को बेहतर बना सकती है.
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अमेरिका में भी पनप रहा ब्राह्मण व बनिया गठजोड़
डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह के साथ ही अमेरिका में एक नए दौर की शुरुआत हो चुकी है जिसे ले कर हर कोई आशंकित है कि अब लोकतंत्र को हाशिए पर रख धार्मिक एजेंडे पर अमल होगा.
![किस संतान को मिले संपत्ति पर ज्यादा हक किस संतान को मिले संपत्ति पर ज्यादा हक](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/9JDheV0BY1739279671565/1739280166756.jpg)
किस संतान को मिले संपत्ति पर ज्यादा हक
यह वह दौर हैं जब पेरैंट्स की सेवा न करने वाली संतानों की अदालतें तक खिंचाई कर रही हैं लेकिन मांबाप की दिल से सेवा करने वाली संतान के लिए जायदाद में ज्यादा हिस्सा देने पर वे भी अचकचा जाती हैं क्योंकि कानून में ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है. क्या यह ज्यादती नहीं?
![युवाओं के सपनों के घर पर डाका युवाओं के सपनों के घर पर डाका](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/SzT5OWXW71739279379347/1739279671358.jpg)
युवाओं के सपनों के घर पर डाका
नौकरीपेशा होम लोन ले कर अपने सपनों का आशियाना खरीद लेते हैं. लेकिन यहां समस्या तब आती है जब किसी यूइत में वे लोन नहीं चुका पाते. ऐसे में कई बार उन्हें अपने घर से हाथ धोना पड़ता है.
![मेलजोल के अवसर बुफे पार्टी मेलजोल के अवसर बुफे पार्टी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/kAkDNoyBV1739280807508/1739281176766.jpg)
मेलजोल के अवसर बुफे पार्टी
बूफे पार्टी में मेहमान भोजन और अच्छे समय का आनंद लेने के साथसाथ सोशल गैदरिंग के चलन को भी जीवित रखते हैं. यह अवसर न केवल खानपान के लिए होता है बल्कि यह लोगों के बीच बातचीत, हंसीमजाक और आपसी विचारों के आदानप्रदान का एक साधन भी है.
![अल्लू अर्जुन को जेल भगवान दोषमुक्त अल्लू अर्जुन को जेल भगवान दोषमुक्त](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/RkxmXuMNk1739280478617/1739280798357.jpg)
अल्लू अर्जुन को जेल भगवान दोषमुक्त
एक तरह के हादसे पर कानून दो तरह से कैसे काम कर सकता है? क्या यह न्याय और संविधान दोनों का अपमान नहीं ?
![ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1971251/jsAA7PQtH1737712505485/1737712993859.jpg)
ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों
कुछ लोगों में अपने रुतबे को ले कर अहंकार होता है. उन्हें लगता है कि उन का ओहदा, उन का पद बैस्ट है. वे सुपीरियर हैं. यह सोच अहंकार और ईगो लाती है जो इंसान के व्यवहार में अड़चन डालती है.
![बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1971251/igzsVRgNl1737713300356/1737713410810.jpg)
बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र
देश नारा प्रधान है. काम भले कुछ न हो रहा हो पर पार्टियां और सरकारों द्वारा उछाले नारों की खुमारी जनता पर खूब छाई रहती है.