मल्टीस्पैशलिटी हौस्पिटल में जाना जरूरी क्यों
Sarita|December Second 2023
बढ़ते प्रदूषण और बदलते रहनसहन से लंग्स संबंधी समस्याएं ज्यादा होने लगी हैं. ऐसे में यदि सही समय पर सही जगह से लंग्स का इलाज न कराया जाए तो गंभीर खतरे का सामना करना पड़ सकता है. ऐसी स्थिति में मल्टीस्पैशलिटी हौस्पिटल सब से अच्छे विकल्प होते हैं.
सोमा घोष
मल्टीस्पैशलिटी हौस्पिटल में जाना जरूरी क्यों

सुधा के पति को क्रोनिक थ्रोम्बोएम्बोलिक पल्मोनरी हाइपरटैंशन हो गया था. उन का रेस्पिरेटरी फेल्योर हो गया था, जिसे वे मल्टीस्पैशलिटी हौस्पिटल में जा कर ही पता कर पाए. पहले वे जनरल फिजीशियन से दवाइयां ले रहे थे. लेकिन एक रात उन्हें सांस लेने में काफी समस्या होने लगी और उन के पैरों में भी सूजन आ गई. उन्हें बेहोशी छा गई.

आननफानन उन्हें एक मल्टीस्पैशलिटी अस्पताल के इमरजैंसी वार्ड में भरती करवाया गया. जहां जांच से पता चला कि उन्हें क्रोनिक थ्रोम्बोएम्बोलिक पल्मोनरी हाइपरटैंशन की बीमारी है, जिस के परिणामस्वरूप उन्हें सांस लेने में अधिक तकलीफ हो रही है. ऐसा मरीज दस हजार में एक होता है. इस का इलाज जल्दी करवाना पड़ता है वरना आगे चल कर इस पल्मोनरी हाइपरटैंशन से लंग्स पर प्रैशर बढ़ जाता है. तकरीबन 4 वर्षों के इलाज के बाद वे स्वस्थ हुए और नियमित दिनचर्या को अब वे कर पा रहे हैं.

क्या है यह बीमारी 

क्रोनिक थ्रोम्बोएम्बोलिक पल्मोनरी हाइपरटैंशन (सीटीईपीएच) ऐसी स्थिति है जहां क्रोनिक रक्त के थक्कों (थ्रोम्बोएम्बोलिक) के कारण फुफ्फुसीय धमनियों में रक्तचाप बढ़ जाता है, जो फेफड़ों के माध्यम से रक्त के मुक्तप्रवाह को बाधित करता है.

असल में आज की लाइफस्टाइल और प्रदूषणभरे माहौल में लंग्स इन्फैक्शन के मामलों में काफी वृद्धि हुई है, जिस का समय रहते इलाज करना अधिक जरूरी है, लेकिन अधिकतर मरीज इधरउधर इलाज करवाते रहते हैं, जिस से उन की बीमारी की सही जांच नहीं हो पाती. फलस्वरूप, रोगी की बीमारी बढ़ जाती है और फिर उस को ठीक करना असंभव सा हो जाता है.

Denne historien er fra December Second 2023-utgaven av Sarita.

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