'इंडिया' गठबंधन की बैठकों की एक खास बात यह भी होती है कि सभी घटक दलों के नेता बराबरी से बैठते हैं, अपनी बात कहते हैं और दूसरों की भी पूरी शिद्दत से सुनते हैं. अपनी सहमति या असहमति वे बिना किसी डर या झिझक के दर्ज कराते हैं. उन का कोई बौस नहीं है जिस के लिहाज में उन्हें बुत की तरह हां में हां मिलाते सिर हिलाना पड़ता हो. अपने मन की बात या मतभेद वे छिपाते नहीं हैं और कभीकभी बोझिल माहौल को हलका करने के लिए हलकाफुलका मजाक भी कर लेते हैं.
अपनेअपने राज्यों के इन सियासी दिग्गजों को एहसास है कि 2024 के चुनावों की लड़ाई आसान नहीं है, इसलिए वे काफी गंभीर भी दिख रहे हैं. यह सोचना बेमानी है कि वे सिर्फ अपनी अपनी दुकानें चलाने के लिए इकट्ठे हुए हैं. ऐसा पहली बार हो रहा है कि वे वाकई में देश और जनता के लिए सोच रहे हैं और इस के लिए वे अपने छोटेबड़े स्वार्थ छोड़ने में हिचकिचा नहीं रहे. अगर ऐसा न होता तो उन्हें गठबंधन बनाने की जरूरत ही न पड़ती. अपनेअपने राज्यों में कम से कम 6-7 दल बिना गठबंधन के भी मजबूत हैं लेकिन वे देश के लोकतंत्र पर मंडराते खतरे से नहीं निबट पा रहे थे.
उन का खतरा उन्मादी धार्मिक राजनीति है जिस का तोड़ वे कई बैठकों के बाद भी फिलहाल नहीं ढूंढ़ पाए हैं. यह काम आसान भी नहीं है क्योंकि बिसात के दूसरी तरफ बैठी भाजपा मूल्यों या मुद्दों की नहीं, बल्कि सनातन धर्म की आड़ में धार्मिक भावनाओं को भड़काने की राजनीति करती है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भाजपा, मौजूदा भगवा सरकार के मुखिया नरेंद्र मोदी और ऊंची जातियों के स्वार्थियों ने आज्ञाकारियों व आस्थावानों की बड़ी भीड़ इकट्ठा कर रखी है. वे जनता को गुमराह और विचलित कर देने के हुनर में सदियों से माहिर हैं. तमाम समस्याओं का हल वे इकलौता विकल्प धर्म, आस्था, पौराणिक ग्रंथों और पौराणिक कथाओं का देते हैं.
एक वजीर
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"पुरुष सत्तात्मक सोच बदलने पर ही बड़ा बदलाव आएगा” बिनायफर कोहली
'एफआईआर', 'भाभीजी घर पर हैं', 'हप्पू की उलटन पलटन' जैसे टौप कौमेडी फैमिली शोज की निर्माता बिनायफर कोहली अपने शोज के माध्यम से महिला सशक्तीकरण का संदेश देने में यकीन रखती हैं. वह अपने शोज की महिला किरदारों को गृहणी की जगह वर्किंग और तेजतर्रार दिखाती हैं, ताकि आज की जनरेशन कनैक्ट हो सके.
पतिपत्नी के रिश्ते में बदसूरत मोड़ क्यों
पतिपत्नी के रिश्ते के माने अब सिर्फ इतने भर नहीं रह गए हैं कि पति कमाए और पत्नी घर चलाए. अब दोनों को ही कमाना और घर चलाना पड़ रहा है जो सलीके से हंसते खेलते चलता भी है. लेकिन दिक्कत तब खड़ी होती है जब कोई एक अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ते अनुपयोगी हो कर भार बनने लगता है और अगर वह पति हो तो उस का प्रताड़ित किया जाना शुरू हो जाता है.
शादी से पहले बना लें अपना आशियाना
कपल्स शादी से पहले कई तरह की प्लानिंग करते हैं लेकिन वे अपना अलग आशियाना बनाने के बारे में कोई प्लानिंग नहीं करते जिसका परिणाम कई बार रिश्तों में खटास और अलगाव के रूप में सामने आता है.
ओवरऐक्टिव ब्लैडर और मेनोपौज
बारबार पेशाब करने को मजबूर होना ओवरऐक्टिव ब्लैडर होने का संकेत होता है. यह समस्या पुरुष और महिलाओं दोनों को हो सकती है. महिलाओं में तो ओएबी और मेनोपौज का कुछ संबंध भी होता है.
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सामाजिक असमानता के लिए धर्म जिम्मेदार है क्योंकि दान और पूजापाठ की व्यवस्था के साथ ही असमानता शुरू हो जाती है जो घर और कार्यस्थल तक बनी रहती है.
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