ट्रक ड्राइवरों से मुंह की खाई
Sarita|January Second 2024
आखिर ऐसा क्यों है कि मोदी सरकार को बारबार अपने कानून वापस लेने की शर्मनाक स्थिति से गुजरना पड़ रहा है? जनता के बीच से जनता द्वारा चुन कर संसद में बिठाए गए जनप्रतिनिधि जनता के लिए कोई कानून बनाने से पहले उस पर जनता का नजरिया क्यों नहीं समझ पा रहे हैं?
ट्रक ड्राइवरों से मुंह की खाई

हिट एंड रन कानून को ले कर मोदी सरकार बैकफुट पर आ गई है. ट्रक ड्राइवरों के हड़ताल पर जाते ही ऐसा हड़कंप मचा और चक्काजाम की ऐसी स्थिति बनी कि सरकार को तुरंत नया कानून वापस लेने का ऐलान करना पड़ा. पिछले 9 सालों में मोदी सरकार ने कई ऊलजलूल कानून बना कर जनता पर जबरन थोपने के प्रयास किए और बारबार उन्हें वापस लेने की शर्मनाक हालत का सामना किया.

अभी चंद दिनों पहले कुश्ती संघ में भाजपा नेता बृजभूषण शरण सिंह की अश्लील हरकतों व अंतर्राष्ट्रीय महिला खिलाड़ियों के यौनशोषण का मामला सुर्खियों में था. इस मामले ने मोदी सरकार की खूब फजीहत करवाई. मगर अपने नेता को गिरफ्तार कर जेल में डालने की हिम्मत सरकार नहीं दिखा पाई.

किसान आंदोलन सड़क पर

अंतर्राष्ट्रीय फलक पर देश का नाम चमकाने वाली महिला खिलाड़ियों को जिस तरह दिल्ली की सड़कों पर पुलिस द्वारा घसीटा और पीटा गया, उस को देख कर पूरे देश का सिर शर्म से झुक गया. उस के बावजूद बृजभूषण पर कोई आंच नहीं आई और उस की सरपरस्ती में कुश्ती संघ का अगला चुनाव हुआ जिस में बृजभूषण के नजदीकी को अध्यक्ष चुना गया. सरकार को शर्म तब आई जब अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पहलवानों ने अपने सम्मान और पुरस्कार वापस करने शुरू किए. सरकार तब चेती जब खिलाड़ी अपने सम्मान मोदी के घर के सामने सड़क पर पटक आए. तब जा कर कुश्ती संघ का चुनाव रद्द करने के आदेश निकले. इस से कुछ और पहले चलें तो 3 नए कृषि कानूनों को वापस लेने पर जिस अपमानजनक स्थिति का सामना मोदी सरकार ने किया था वह भाजपा के इतिहास का सब से काला अध्याय है. मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए बड़े जोरशोर से 3 कृषि कानून लाई थी जिन के खिलाफ देशभर का किसान सड़क पर आ गया था.

सालभर से ज्यादा समय तक दिल्ली की सीमा पर जाड़ा, गरमी, बरसात की मार सहता हुआ हमारा अन्नदाता बैठा रहा. उस पर खूब पुलिसिया जुर्म टूटे मगर वह टस से मस न हुआ और आखिरकार सरकार को खामियों से भरे अपने तीनों कानून जारी करने के बाद वापस लेने पड़े. अन्नदाता के सत्याग्रह ने अहंकार का सिर झुका दिया. सरकार को किसानों से माफी मांगनी पड़ी.

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