मोटापा एक बड़ी समस्या के रूप में उभर रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मोटापा यानी ओबेसिटी अब पूरे विश्व में एक महामारी के रूप में उभर रहा है. जो वयस्क मोटापे की चपेट में हैं वे कई अन्य बीमारियों को न्योता दे सकते हैं. तथ्यों से पता चलता है कि हर दूसरा शहरी व्यक्ति मोटापे का शिकार है या फिर उस के शरीर में जरूरत से ज्यादा चरबी है और साथ ही, लगभग एकचौथाई वयस्कों को मेटाबोलिक सिंड्रोम की समस्या है, जिस से वे हार्ट डिजीज और डायबिटीज की चपेट में आ सकते हैं.
मोटापा वयस्कों की जिंदगी में होने वाली बाकी अन्य खतरनाक बीमारियों की जननी है. जैसे टाइप-2 डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, इस्केमिक हार्ट डिजीज, स्लीप एप्निमा और कुछ प्रकार के कैंसर आदि. इसलिए अन्य खतरनाक बीमारियों और महामारियों को रोकने के लिए मोटापे की रोकथाम व सही उपचार करना बेहद आवश्यक है.
इन्हीं बातों को ध्यान में रख कर स्वास्थ्य मंत्रालय ने कुछ ऐसे निर्देश जारी किए थे जिन में देश को मोटापा व इस से होने वाली अन्य बीमारियों की चपेट में आने से रोका जा सके. इन निर्देशों का ब्योरा कुछ इस प्रकार है:
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वाराणसी के हिंदू मंदिरों से सांईं बाबा की मूर्तियों को हटाने की सनातनी मुहिम फुस हो कर रह गई है तो इस की अहम वजह यह है कि हिंदू ही इस मसले पर दोफाड़ हैं. लेकिन इस से भी बड़ी वजह पंडेपुजारियों का इस में ज्यादा दिलचस्पी न लेना रही क्योंकि उन की दक्षिणा मारी जा रही थी.
1947 के बाद कानूनों से बदलाव की हवा भाग-5
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