लगभग 10 वर्ष पहले की बात है. एक बहुत बड़ी फिल्म प्रचार कंपनी से जुड़े पीआरओ ने बताया था कि वह एक फिल्म के प्रमोशन के लिए कुछ कलाकारों के साथ इंदौर गया हुआ था. जब वहां के एक मौल के मालिक को पता चला तो उस ने एक कलाकार से अपने मौल में आने का निमंत्रण दिया, जिस के लिए उस कलाकार ने डेढ़ लाख रुपए मांग लिए. मौल का मालिक 75 हजार रुपए से ज्यादा देने को तैयार न था. किसी तरह पीआरओ ने उस कलाकार को एक लाख रुपए में राजी किया.
जब वह कलाकार मौल में पहुंचा तो मालिक उन्हें अपनी केबिन में ले गया. उस वक्त पीआरओ ने देखा कि उस की केबिन में उस मालिक व कलाकार की एकसाथ 3 तसवीरें पहले से लगी हुई थीं. चाय वगैरह पिलाने के बाद मौल के मालिक ने कलाकार को अपने मौल का एक चक्कर लगवाया और फिर केबिन में पहुंच कर कलाकार को एक लाख रुपए देने के बाद कलाकार से कहा, आप मेरे इसी मौल में पहले भी 3 बार आ चुके हैं. तसवीरें देख लीजिए. पहले हम ने आप को सिर्फ 25 हजार रुपए दिए थे. आज भी आप इतने बड़े स्टार नहीं बने हैं कि आप इतनी बड़ी रकम मांगें.
'यह तो मेरी इच्छा थी कि चौथी बार आप को अपने मौल में बुला कर चाय पिलाऊं और आप के साथ एक तसवीर खिंचवाऊं, इसलिए जब मुझे पता चला कि आप इंदौर में हैं तो मैं ने आप को बुलाया. आप जब अगली बार इंदौर आएंगे तो फिर बुलाऊंगा. मगर यदि अगली बार आप ने ज्यादा धन मांगा तो आप को सदा के लिए भूल जाऊंगा. उस के बाद मैं किसी अन्य कलाकार को बुलाना शुरू कर दूंगा.'
उस मौल के मालिक ने एक लाख रुपए कलाकार को देते हुए जम कर बेइज्जत करते हुए यह भी गिना दिया कि उस की पिछली कौनकौन सी फिल्में बौक्स औफिस पर असफल रहीं और कलाकार अपने पीआरओ के सामने जलील होता रहा. (हम ने जानबूझ कर उस पीआरओ, कलाकार व मौल के मालिक का नाम छिपाया क्योंकि हम दावा नहीं कर सकते कि पीआरओ कितना सच बोल रहा था).
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