"ये चुनौतियां मेरे लिए नहीं हैं, ये अध्यक्ष के लिए हैं, जिस का अर्थ है कि इस पर बैठा व्यक्ति अयोग्य है. मुझे सदन से वह समर्थन नहीं मिला जो मुझे मिलना चाहिए था, मेरे सर्वोत्तम प्रयासों के बाबजूद मैं निराश हूं. मेरे पास एक ही विकल्प है, भारी मन से मैं खुद को कुछ समय के लिए यहां बैठने में असमर्थ पाता हूं."
इतना कहने के बाद राज्यसभा अध्यक्ष जगदीप धनखड़ सदन से बाहर चले गए. वाकेआ राज्यसभा का है. 8 अगस्त को विपक्षी सदस्य रैसलर विनेश फोगाट को ओलिंपिक में अयोग्य ठहराए जाने पर चर्चा की मांग कर रहे थे. लेकिन धनखड़ ने इस से मना किया तो उन्होंने वाकआउट कर दिया. यह मामला कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे ने उठाया था जिन का समर्थन टीएमसी, सीपीआई और आप सहित सभी विपक्षी दलों ने किया था. इन पार्टियों के सदस्यों ने बहस के लिए नियम 267 के तहत नोटिस भी दिया था. विनेश का मुद्दा वाकई गंभीर था लेकिन धनखड़ इस पर कुछ सुनने को तैयार नहीं थे क्योंकि पूरी भाजपा इस से बच रही थी. भाजपा क्यों बच रही थी, कुश्ती में दिलचस्पी न रखने वाले भी इस की वजह जानते हैं.
होहल्ले के बीच अहम बात धनखड़ का वाकआउट करना रहा, नहीं तो अभी तक विपक्ष ही वाकआउट करता रहा था. यह संभवतया पहला मौका था जब राज्यसभा अध्यक्ष ही घबरा कर वाकआउट या पलायन (कुछ भी कह लें) कर गए. उन की स्थिति एक ऐसे ड्राइवर जैसी मुद्दत से दिख रही है जिस से बस चलाते नहीं बन रही है या ऐसे टीचर की जिस से क्लास संभाले नहीं संभल रही है. सरकारी स्कूलों के गुरुओं की तरह वह चाहता है। कि छुट्टी की घंटी बजने तक बच्चे मुंह में दही जमाए बैठे रहें और वह पैर टेबल पर फैलाए इत्मीनान से ऊंघता रहे.
लेकिन हो उलटा रहा है, छात्र कह रहे हैं कि गुरुजी उठो पढ़ाई चालू करो. ब्लैकबोर्ड पर चाक से कुछ लिखो, नहीं तो हम तो शोर मचाएंगे ही. अब गुरुकुलों सा दौर नहीं है कि हम आप के पांव दबाते रहें, आश्रम के बाहर बंधी आप की गाय का दूध दुह कर गुरुमाता को दे कर अपनी शिक्षा पूरी हुई मान लें.
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"पुरुष सत्तात्मक सोच बदलने पर ही बड़ा बदलाव आएगा” बिनायफर कोहली
'एफआईआर', 'भाभीजी घर पर हैं', 'हप्पू की उलटन पलटन' जैसे टौप कौमेडी फैमिली शोज की निर्माता बिनायफर कोहली अपने शोज के माध्यम से महिला सशक्तीकरण का संदेश देने में यकीन रखती हैं. वह अपने शोज की महिला किरदारों को गृहणी की जगह वर्किंग और तेजतर्रार दिखाती हैं, ताकि आज की जनरेशन कनैक्ट हो सके.
पतिपत्नी के रिश्ते में बदसूरत मोड़ क्यों
पतिपत्नी के रिश्ते के माने अब सिर्फ इतने भर नहीं रह गए हैं कि पति कमाए और पत्नी घर चलाए. अब दोनों को ही कमाना और घर चलाना पड़ रहा है जो सलीके से हंसते खेलते चलता भी है. लेकिन दिक्कत तब खड़ी होती है जब कोई एक अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ते अनुपयोगी हो कर भार बनने लगता है और अगर वह पति हो तो उस का प्रताड़ित किया जाना शुरू हो जाता है.
शादी से पहले बना लें अपना आशियाना
कपल्स शादी से पहले कई तरह की प्लानिंग करते हैं लेकिन वे अपना अलग आशियाना बनाने के बारे में कोई प्लानिंग नहीं करते जिसका परिणाम कई बार रिश्तों में खटास और अलगाव के रूप में सामने आता है.
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बारबार पेशाब करने को मजबूर होना ओवरऐक्टिव ब्लैडर होने का संकेत होता है. यह समस्या पुरुष और महिलाओं दोनों को हो सकती है. महिलाओं में तो ओएबी और मेनोपौज का कुछ संबंध भी होता है.
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कहीं से कोई पैसा अचानक से मिल जाए या फिर व्यापार में कोई मुनाफा हो तो उन पैसों को घर में खर्चने के बजाय लोन उतारने में खर्च करें, ताकि लोन कुछ कम हो सके और इंट्रैस्ट भी कम देना पड़े.
कनाडा में हिंदू मंदिरों पर हमला भड़ास या साजिश
कनाडा के हिंदू मंदिरों पर कथित खालिस्तानी हमलों का इतिहास से गहरा नाता है जिसकी जड़ में धर्म और उस का उन्माद है. इस मामले में राजनीति को दोष दे कर पल्ला झाड़ने की कोशिश हकीकत पर परदा डालने की ही साजिश है जो पहले भी कभी इतिहास को बेपरदा होने से कभी रोक नहीं पाई.
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अमेरिका अब चर्च का शिकंजा
दुनियाभर के देश जिस तेजी से कट्टरपंथियों की गिरफ्त में आ रहे हैं वह उदारवादियों के लिए चिंता की बात है जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे ने और बढ़ा दिया है. डोनाल्ड ट्रंप की जीत दरअसल चर्चों और पादरियों की जीत है जिस की स्क्रिप्ट लंबे समय से लिखी जा रही थी. इसे विस्तार से पढ़िए पड़ताल करती इस रिपोर्ट में.