तिथियों के तुक्के
पिछले 3 अंकों में आप ने भूमि की जाति, भूमि से भविष्य और भूमि पर कब निर्माण करें आदि के बारे में पढ़ा था जो बेसिरपैर का था. अब आगे शिल्पशास्त्र में क्या कहा गया, उसे पढ़िए -
यह है हमारा शिल्पशास्त्र. क्या इस में अभी तक शिल्प की कोई बात आई है? शिल्पशास्त्र आगे कहता है कि जब चंद्रमा धनु और मीन राशि के मध्य स्थित हो, तब न घास की कटाई करें, न लकड़ी काटें और न ही लकड़ियां इकट्ठी करें तथा न ही दक्षिण दिशा की ओर जाएं -
धनुर्मीनद्वयोर्मध्ये यावत्तिष्ठति चंद्रमाः,
न छिन्द्यात्तृणकाष्ठादीन्न गच्छेद दक्षिणां दिशम्.
(शिल्पशास्त्रम् 1/34)
चंद्रमा के इन राशियों के मध्य रहने का घास या लकड़ी की कटाई से क्या संबंध है? क्या ये दोनों चीजें चंद्रमा की हैं या उस के बाप की? कहा है, दक्षिण दिशा में न जाएं - तो क्या उस समय गाड़ियां बंद हो जाती हैं? हवाई जहाज उड़ना भूल जाते हैं? क्या दक्षिण भारत को जाने के सब मार्ग रुक जाते हैं? क्या दक्षिण भारत को जाने के सब मार्ग एक हो जाते हैं? जो जाते हैं, चंद्रमा उन का क्या करता है? वह क्या उन का एक रोम भी उखाड़ सकता है?
यहां शिल्पशास्त्र के माध्यम से जंतरी वाले ज्योतिषी को फिर से वैधता प्रदान करने का प्रयास किया गया है, क्योंकि चंद्रमा कब किस राशि में है, यह जानने के लिए उसी से पूछना पड़ेगा और वह अपने यजमान (शिकार) का यथाशक्ति शोषण- आर्थिक व बौद्धिक - करेगा ही.
युद्ध और ज्योतिषी
शिल्प की एक भी बात न करने वाला शिल्पशास्त्र ज्योतिष के नाम पर अंधविश्वासों को हवा देता हुआ आगे कहता है कि जब जन्मराशि में चंद्रमा हो तब न यात्रा पर जाएं, न युद्ध करें, न घर बनाना शुरू करें, न दवाई खाएं और न पशु संग्रह करें:
जन्मचंद्र: श्रियं कुर्याद् वर्जयेत् पंचकर्मसु,
यात्रा युद्धे गृहारंभे भैषज्ये पशुसंग्रहे.
(शिल्पशास्त्रम् 1/36)
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