पहले बिल क्लिंटन, प्रिंस चार्ल्स और जॉर्ज बुश जैसे विदेशी नेताओं को भी किया चुका है प्रदान
कुवैत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वहां के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया है। कुवैत के अमीर अमीर शेख मेशाल अल-अहमद अल-जबर अल सबा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' से सम्मानित किया। पीएम नरेंद्र मोदी कुवैत के 2 दिवसीय दौरे पर हैं। इससे पहले 19 देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित कर चुके हैं। इस लिस्ट में शुमार होने वाला यह 20वां देश है।
पीएम नरेंद्र मोदी को यह सम्मान भारत और कुवैत के बीच अच्छे संबंधों को मजबूत करने के लिए दिया गया है। 'द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' मित्रता के संकेत के रूप में राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी संप्रभुओं और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को प्रदान किया जाता है। पीएम नरेंद्र मोदी से पहले बिल क्लिंटन, प्रिंस चार्ल्स और जॉर्ज बुश जैसे विदेशी नेताओं को भी 'द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' प्रदान किया जा चुका है। इससे पहले गत माह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गुयाना और बारबाडोस ने अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया था।
Denne historien er fra December 23, 2024-utgaven av Aaj Samaaj.
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'संवैधानिक संस्थानों की अखंडता को राजनीतिक प्रभाव से रखें अलग', बेंगलूरू में बोले न्यायमूर्ति नरसिम्हा
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किसानों की बुलंद आवाज थे चौधरी चरण सिंह
किसानों को खुशहाल किए बिना देश का विकास नहीं हो सकता। उनकी नीति किसानों व गरीबों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने की थी। वो कहते थे कि देश की समृद्धि का रास्ता गांवों के खेतों और खलिहानों से होकर गुजरता है। उन का कहना था कि भ्रष्टाचार की कोई सीमा नहीं है। जिस देश के लोग भ्रष्ट होंगे वो देश कभी तरक्की नहीं कर सकता।
पिछले दो वर्षों में सहकारिता मंत्रालय ने देश में सहकारी आंदोलन को मजबूत करने के लिए उठाए महत्वपूर्ण कदम
सहकारी बैंकों को मजबूत करने के लिए कई नीतिगत बदलाव किए गए हैं। मंत्रालय ने सहकारी क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए भी कई पहलें शुरू की हैं। कुल मिलाकर, पिछले दो वर्षों में सहकारिता मंत्रालय ने देश में सहकारी आंदोलन को एक नई ऊर्जा प्रदान की है। प्रत्येक पंचायत/गांव को कवर करते हुए 2 लाख बहुउद्देशीय पीएसीएस, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना सहकारी क्षेत्र भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्तंभ रहा है;
'त्याग की प्रतिमूर्ति राष्ट्रभक्त निर्भीक सन्यासी स्वामी श्रद्धानंद'
मुंशी राम के पिताजी ने इनको भी स्वामी दयानंद के उस कार्यक्रम में जाने के लिए कहा। मुंशी राम का जीवन स्वामी दयानंद के प्रवचनों तक एवं सैद्धांतिक विचारधारा से बहुत प्रभावित हुआ। स्वामी दयानंद के उपदेशों ने नास्तिक मुंशीराम को आस्तिक बना दिया। अपने जीवन में व्याप्त समस्त व्यसनों का परित्याग करके सन 1884 में मुंशी राम जी आर्य समाज लाहौर के सदस्य बने। स्वामी दयानंद के वैदिक ज्ञान से प्रभावित होकर इन्होंने अपना संपूर्ण जीवन वैदिक संस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु समर्पित किया
दिल्ली के कर्तव्य पथ पर होने वाली परेड के लिए पंजाब की झांकी को चयनित किया
बीते साल हुआ था विवाद, 5 राज्यों-केंद्र शाप्मित प्रदेशों की झांकियां होगी ग़ामिल