न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गठित उच्च स्तरीय समिति ने सोमवार को पहली बैठक में सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए चार उपसमूह गठित किए। समिति ने कई प्रासंगिक मुद्दों पर चर्चा भी की। उधर हजारों किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग को कानूनी जामा पहनाने की मांग को लेकर फिर दिल्ली में जुटे। न्यूनतम समर्थन मूल्य के पैनल ने चार उपसमूह गठित किए हैं। पहले उपसमूहों में हिमालयी राज्यों के लिए समूह के साथ साथ खेती के तरीके में बदलाव, खेती का विविधीकरण और कैसे अन्य राज्यों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित किया जा सके। दूसरे समूह सूक्ष्म सिंचाई के तरीकों पर था। इस समूह की अध्यक्षता आईआईएम अहमदाबाद के सुखपाल सिंह करेंगे। तीसरे समूह का नेतृत्व राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान (मैनेज) के एक प्रतिनिधि करेगा। यह समूह जैविक और प्राकृतिक खेती के तरीकों सहित 'शून्य बजट आधारित खेती' का अध्ययन भी करेगा। चौथा समूह का नेतृत्व भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) करेगा। यह समूह देश भर में फसल विविधीकरण और फसल पैटर्न का अध्ययन करेगा।
हालांकि दिल्ली की सड़कों पर मूल संयुक्त किसान मोर्चा अलग रहा जिसने एक साल तक लंबे चले किसान आंदोलन का नेतृत्व किया था। किसानों के प्रदर्शन के दौरान खासे सक्रिय रहे योगेंद्र यादव ने ट्वीट करके कहा कि दिल्ली में जुटे किसानों से किसान महापंचायत का कोई सरोकार नहीं है।
Denne historien er fra August 23, 2022-utgaven av Business Standard - Hindi.
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सर्वोच्च स्तर से 15 फीसदी फिसली वेदांत
सितंबर के आखिर में 512 रुपये की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद कमोडिटी दिग्गज वेदांत का शेयर बाजारों में गिरावट के बीच 15 फीसदी से ज्यादा फिसल गया है। अनिल अग्रवाल की अगुआई वाली फर्म के शेयर में हालिया गिरावट पिछले एक साल में इसका शेयर दोगुना होने के बाद आई है।
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बाजार नियामक सेबी के हालिया अध्ययन में सूचीबद्ध कंपनियों की तरफ से किए गए रॉयल्टी भुगतान में कुछ चिंताजनक रुझान सामने आए हैं। चार मे से एक मामला ऐसा रहा जिसमें कंपनियों ने अपने शुद्ध लाभ का 20 फीसदी से ज्यादा संबंधित पार्टियों को रॉयल्टी के रूप में भुगतान किया।
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मॉर्गन स्टैनली ने एक रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय शेयरों (बीएसई सेंसेक्स) ने 10, 15, 20 और 25 साल की अवधि में रियल एस्टेट, सोने, 10 वर्षीय बॉन्ड और बैंक सावधि जमाओं (एफडी) जैसे परिसंपत्ति वर्गों के मुकाबले ज्यादा रिटर्न दिया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि हालांकि इस रिटर्न (कर-पूर्व) के लिए निवेशकों को जोखिम लेने और निवेश के दौरान शेयरों में उतार-चढ़ाव को झेलने में सक्षम होना चाहिए।
म्युचुअल फंडों के पास है बड़ी नकदी
अक्टूबर के अंत में इक्विटी योजनाओं के पास करीब 1.7 लाख करोड़ रुपये थे, नकदी के संदर्भ में पीपीएफएएस, क्वांट और एसबीआई तीन प्रमुख फंड हाउस रहे