कई मशहूर फिल्म निर्माण कंपनियों, बड़े फिल्मी सितारों और मार्केटिंग कौशल के बावजूद हिंदी फिल्म उद्योग को दक्षिण भारतीय फिल्में कड़ी टक्कर दे रही हैं। सीआईआई की दक्षिण मीडिया एवं मनोरंजन से जुड़ी एक रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में पूरे देश भर की बॉक्स ऑफिस कमाई में 62 प्रतिशत हिस्सा दक्षिण भारतीय फिल्मों का है। अब यह रुझान और भी तेज होता जा रहा है। एक अनुमान के मुताबिक कन्नड़ ऐक्शन फिल्म 'केजीएफ चैप्टर 2' के हिंदी डब संस्करण ने 435 करोड़ रुपये की कमाई की, जबकि 'आरआरआर' और 'पुष्पाः द राइज भाग-1' के डब संस्करणों ने क्रमशः 265 करोड़ रुपये और 106 करोड़ रुपये की कमाई की। कोविड के बाद सिनेमाघर खुलने पर फिल्मों की कुल कमाई में डब फिल्मों के कलेक्शन की हिस्सेदारी 70 फीसदी हो गई। हिंदी डबिंग की सफलता की एक मिसाल फिल्म 'आरआरआर' है जिस ने देश भर में कुल 906 करोड़ रुपये की कमाई की जिसमें हिंदी डबिंग का योगदान 265 करोड़ रुपये है।
दक्षिण भारतीय फिल्मों की लोकप्रियता की एक प्रमुख वजह यह भी है कि बॉलीवुड पिछले कुछ वर्षों से मल्टीप्लेक्स दर्शकों को लुभाने की कोशिश में है लेकिन भारत में सिनेमा देखने वाला एक बड़ा वर्ग सिंगल-स्क्रीन दर्शकों का है जो जेब पर ज्यादा बोझ नहीं डालना चाहते हैं। ऐसे में इस वर्ग के लोगों की भीड़ इन दक्षिण भारतीय ऐक्शन फिल्मों को देखने के लिए देश भर के सिनेमाघरों में उमड़ती दिख रही है।
हाल ही में मशहूर निर्देशक एसएस राजामौलि की हिंदी डब ब्लॉकबस्टर, तेलुगू 'आरआरआर', ने बॉक्स ऑफिस पर सफलता के झंडे गाड़ दिए और इसकी वजह से भारतीय फिल्म निर्माता भी सफलता पाने के लिए इन्हीं फॉर्मूले को अपनाने की कोशिश में हैं।
Denne historien er fra September 14, 2022-utgaven av Business Standard - Hindi.
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बाजार नियामक सेबी के हालिया अध्ययन में सूचीबद्ध कंपनियों की तरफ से किए गए रॉयल्टी भुगतान में कुछ चिंताजनक रुझान सामने आए हैं। चार मे से एक मामला ऐसा रहा जिसमें कंपनियों ने अपने शुद्ध लाभ का 20 फीसदी से ज्यादा संबंधित पार्टियों को रॉयल्टी के रूप में भुगतान किया।
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मॉर्गन स्टैनली ने एक रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय शेयरों (बीएसई सेंसेक्स) ने 10, 15, 20 और 25 साल की अवधि में रियल एस्टेट, सोने, 10 वर्षीय बॉन्ड और बैंक सावधि जमाओं (एफडी) जैसे परिसंपत्ति वर्गों के मुकाबले ज्यादा रिटर्न दिया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि हालांकि इस रिटर्न (कर-पूर्व) के लिए निवेशकों को जोखिम लेने और निवेश के दौरान शेयरों में उतार-चढ़ाव को झेलने में सक्षम होना चाहिए।
म्युचुअल फंडों के पास है बड़ी नकदी
अक्टूबर के अंत में इक्विटी योजनाओं के पास करीब 1.7 लाख करोड़ रुपये थे, नकदी के संदर्भ में पीपीएफएएस, क्वांट और एसबीआई तीन प्रमुख फंड हाउस रहे