मरीजों को लाभ
- कुछ जीवन रक्षक दवाओं या वैक्सीन पर 5 प्रतिशत कर लगता है या इन्हें पूरी तरह शुल्क मुक्त रखा जाता है
- 10 किलो वजन वाले बच्चे की कुछ दुर्लभ बीमारियों के इलाज का वार्षिक खर्च 10 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक हो सकता है
- इस तरह के उपचार आजीवन चलते हैं और दवा की खुराक व लागत उम्र व वजन के साथ बढ़ती है
- इस छूट से लागत में पर्याप्त बचत होगी और रोगियों को राहत मिल सकेगी
सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति 2021 के तहत आने वाली सभी दुर्लभ बीमारियों के उपचार के काम आने वाली व्यक्तिगत इस्तेमाल की आयातित दवाओं और 'विशेष उपचार के मकसद के लिए खाद्य' को बुनियादी सीमा शुल्क से मुक्त करने का फैसला किया है। इससे असाध्य और दुर्लभ बीमारियों का उपचार करा रहे मरीजों को लाभ होगा। इसके साथ ही सरकार ने कैंसर की दवा पेम्ब्रोलीजुमाब (केयटुडा) को भी बुनियादी सीमा शुल्क से मुक्त कर दिया है।
सामान्यतया दवाओं पर 10 प्रतिशत बुनियादी सीमा शुल्क लगता है। वहीं कुछ जीवन रक्षक दवाओं और टीकों पर छूट के साथ 5 प्रतिशत कर लगता है, या उन्हें पूरी तरह से शुल्क मुक्त रखा जाता है।
Denne historien er fra March 31, 2023-utgaven av Business Standard - Hindi.
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