लोकसभा में मंगलवार को कांग्रेस ने मणिपुर में हिंसा को लेकर केंद्र और राज्य सरकार पर पूरी तरह विफल रहने का आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव मजबूरी में लाना पड़ा ताकि इस मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘मौनव्रत’ तोड़ा जा सके। सदन में पार्टी के उप नेता गौरव गोगोई ने लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को चर्चा के लिए रखते हुए यह सवाल भी किया कि प्रधानमंत्री ने मणिपुर का दौरा क्यों नहीं किया और मणिपुर के मुख्यमंत्री (एन बीरेन सिंह) को पद पर क्यों बनाए रखा? उन्होंने दावा भी किया कि प्रधानमंत्री मौन रहना चाहते हैं और वह अपनी सरकार, गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की विफलताओं को सामने नहीं आने देना चाहते। विपक्ष के कुछ नेताओं ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की ‘राजधर्म’ वाली चर्चित टिप्पणी का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा। सदन में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस नेता गोगोई ने याद दिलाया कि 2002 के सांप्रदायिक दंगों के बाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गुजरात का दौरा किया था। उन्होंने कहा, ‘उन्हें (प्रधानमंत्री मोदी को) मणिपुर पर बोलने में लगभग 80 दिन क्यों लग गए और (वह) केवल 30 सेकंड ही बोले… मंत्री कह रहे हैं कि वे बोलेंगे, लेकिन प्रधानमंत्री के शब्दों की जो ताकत होती है उसका मुकाबला कोई मंत्री या सांसद नहीं कर सकता।’
चर्चा में भाग लेते हुए द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) सदस्य टी.आर. बालू ने कहा कि दिवंगत वाजपेयी ’राजधर्म’ के साथ खड़े थे, लेकिन आज महिलाओं को जब निर्वस्त्र करके घुमाया गया तो हम उनके साथ खड़े नहीं हो सके। उन्होंने दावा किया, ‘पूरी दुनिया ने मणिपुर में हुई घटनाओं की निंदा की है।’
Denne historien er fra August 09, 2023-utgaven av Business Standard - Hindi.
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