■ वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में सौदों का कुल मूल्य 32.9 अरब डॉलर हुआ
■ वित्त वर्ष 2022 की दूसरी तिमाही के बाद यह सौदों का सबसे बड़ा तिमाही आंकड़ा है
■ कारोबार के विलय या उसे अलग करने से शेयरधारकों के लिए कंपनी की कीमत बढ़ती है
■ कारोबारी इकाई को अलग कंपनी के तौर पर सूचीबद्ध कराए जाने से उसकी असली कीमत पता चलती है
भारतीय कंपनियों के बोर्डरूम में विलय एवं विभाजन के जरिये संपत्तियां तैयार करने या कीमत बढ़ाने जैसी बातें जोर पकड़ रही हैं। यही कारण है कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के दौरान ऐसे सौदों में तेजी से वृद्धि हुई है। तीसरी तिमाही के दौरान हुए सौदों का कुल मूल्य 32.9 अरब डॉलर तक पहुंच गया। यह वित्त वर्ष 2022 की दूसरी तिमाही के बाद सौदों का सबसे अधिक तिमाही आंकड़ा है। उस तिमाही में ही एचडीएफसी बैंक और एचडीएफसी के बीच विलय की घोषणा की गई थी।
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 18.4 अरब डॉलर की अपनी वित्तीय कंपनी जियो फाइनैंशियल सर्विसेज को खुद से अलग किया, जो इस साल किसी भारतीय कंपनी से जुड़ा सबसे बड़ा सौदा है। सितंबर तिमाही में सौदों के कुल मूल्य में आईडीएफसी लिमिटेड एवं आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के विलय तथा जियो फाइनैंशियल सर्विसेज के अलगाव का 60 फीसदी से अधिक योगदान रहा।
Denne historien er fra October 12, 2023-utgaven av Business Standard - Hindi.
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