एआईएफ ट्रस्टियों की परेशानी
■ एआईएफ के जरिये इकाइयों की तरफ से नियमों के उल्लंघन के कई मामले सेबी को मिले हैं
■ एआईएफ के लीगल ओनर हैं ट्रस्टी, नियामकीय अनुपालन के लिए हैं जवाबदेह
■ इन्वेस्टमेंट मैनेजरों से और सूचना हासिल करने का अधिकार चाहते हैं ट्रस्टी
■ निवेश फैसले के बाद समयबद्ध डिस्क्लोजर या सूचनाएं नहीं मिलती
■ ट्रस्टियों ने ड्यू डिलिजेंस में चुनौतियों को रेखांकित किया है
वैकल्पिक निवेश फंडों (एआईएफ) में नियमों के उल्लंघन को लेकर बाजार नियामक सेबी की तरफ से हुई जांच ने ट्रस्टियों को सुर्खियों में ला दिया है। उनमें से कई अपनी जिम्मेदारियों के निर्वहन के लिए और अधिकार की मांग कर रहे हैं, जिनमें एआईएफ के व्यवहार पर नजर रखना और यूनिटधारकों के हितों का संरक्षण शामिल है।
एआईएफ ट्रस्टियों को एआईएफ के लिए अनुपालन से जुड़े कामकाज को भी अंजाम देना होता है और उन्हें निवेशकों के केवाईसी की जांच करनी होती है, साथ ही विदेशी निवेशकों से लाभार्थी स्वामित्व की विस्तृत जानकारी मांगनी होती है और इसे निवेशकों के साथ साझा करना होता है। हालांकि कई ट्रस्टियों ने कहा कि उन्हें इन्वेस्टमेंट मैनेजरों से समय पर डिस्क्लोजर नहीं मिलता है।
Denne historien er fra October 25, 2023-utgaven av Business Standard - Hindi.
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