भारत का तर्क था कि औद्योगिक नीति समवर्ती सूची में है और इस पर राज्य सरकारें नीति बनाती हैं, जो संभवतः अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर असर नहीं डाल सकती हैं। ऐसे में निर्यात सब्सिडी के विश्लेषण से इतर ऐसी किसी जांच की जरूरत नहीं है।
एक भारतीय वार्ताकार ने नाम न दिए जाने की शर्त पर बताया, 'औद्योगिक नीति बहुत व्यापक विषय है। भारत में औद्योगिक नीति समवर्ती सूची में है, जिस पर केंद्र व राज्य सरकारों, दोनों को ही नीति बनाने का अधिकार है। ऐसे में अगर राज्य सरकारें औद्योगिक विकास को प्रोत्साहित करने का फैसला करती हैं, तो उन्हें डब्ल्यूटीओ की जांच के दायरे में लाए जाने की अनुमति क्यों दी जानी चाहिए? यह हो सकता है कि उस कारखाने से निर्यात न होता हो।'
अधिकारी ने कहा, 'यूरोप कार्बन बॉर्डर बनाने वाली औद्योगिक क्रांति का नेतृत्व कर रहा है। अब यूरोपीय संघ चाहता है कि विकासशील देशों पर सीबीएएम (कार्बन एडजस्टमेंट मैकेनिज्म) लागू किया जाए। सीबीएएम से बचने के लिए सरकारें उद्योगों को सब्सिडी दे सकती हैं। इसके लिए वे हमारी औद्योगिक नीतियों का अध्ययन करना चाहते हैं। उनका व्यापक मकसद तटीय उद्योगों को विकासशील देशों से दूर अपने यहां लौटाना है।'
Denne historien er fra March 05, 2024-utgaven av Business Standard - Hindi.
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'तत्काल सुनवाई के लिए मौखिक उल्लेख नहीं, ईमेल या पत्र भेजा जाए'
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'जेनको को सूचीबद्ध करें राज्य
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